सुकमा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा से शनिवार को बड़ी खबर सामने आई है। यहां 1 करोड़ 18 लाख रुपये के इनामी 23 खूंखार नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ के सामने हथियार डाले और आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 9 महिलाएं और 14 पुरुष शामिल हैं।
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने जानकारी दी कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से 11 पर 8-8 लाख, 4 पर 5-5 लाख, 1 पर 3 लाख और 7 पर 1-1 लाख का इनाम घोषित था। यह सरेंडर न केवल सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है, बल्कि सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति की जीत भी है।
एसपी चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली शासन की “छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति-2025” और “नियद नेल्ला नार” योजना से प्रभावित हुए हैं। लगातार सुरक्षाबलों की उपस्थिति, कैंपों की स्थापना, और स्थानीय आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों से क्षुब्ध होकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला लिया।
ये सभी माओवादी अब पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि और अन्य सरकारी सुविधाएं प्राप्त करेंगे।
ये हैं कुछ प्रमुख आत्मसमर्पित नक्सली:
🔹 लोकेश उर्फ पोड़ियाम भीमा – सप्लाई टीम कमांडर, इनाम: ₹8 लाख
🔹 रमेश उर्फ कलमू केसा – बटालियन नंबर 1, इनाम: ₹8 लाख
🔹 प्रवीण उर्फ संजीव – सब जोनल ब्यूरो स्टॉप टीम, इनाम: ₹8 लाख
🔹 नुप्पो गंगी, पुनेम देवे, माड़वी जोगा – सभी ₹8 लाख के इनामी
🔹 मुचाकी रनौती उर्फ हिड़मे, कलमू दूला, दूधी मंगली – ₹5 लाख इनामी
🔹 अन्य 10 नक्सली भी ₹1 से ₹3 लाख तक के इनामी हैं।
क्यों हो रहा है आत्मसमर्पण?
सरकार की सख्ती, सुरक्षाबलों की बढ़ती पकड़, और योजनाओं के जरिए पुनर्वास की गारंटी – इन तीन वजहों ने सुकमा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी माओवादियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पुलिस का कहना है कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा और बाकी नक्सलियों को भी मुख्यधारा में आने का मौका मिलेगा।