नोम पेन्ह। कंबोडिया और थाईलैंड के बीच चल रहा पुराना सीमा विवाद अब अंतरराष्ट्रीय मोड़ लेने जा रहा है। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में ले जाने का ऐलान किया है। इस ऐलान के साथ ही कंबोडिया ने एक उच्च स्तरीय दस्तावेज़ समिति का गठन भी कर दिया है, जो कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह समिति मोम बेई, ता मोआन थॉम, ता मोआन तौच और ता क्रबेई जैसे ऐतिहासिक मंदिरों के आसपास के क्षेत्रों को लेकर आईसीजे में दस्तावेज दाखिल करने की तैयारी कर रही है। ‘खमेर टाइम्स’ की रिपोर्ट बताती है कि विदेश मंत्री प्राक सोखोन की अध्यक्षता में गठित इस समिति को आईसीजे में कंबोडिया का पक्ष रखने का अधिकार सौंपा गया है।
यह फैसला उस वक्त आया है जब दोनों देश 14 जून को नोम पेन्ह में होने जा रही ज्वाइंट बाउंड्री कमीशन (JBC) की अहम बैठक की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि थाईलैंड अब भी चाहता है कि विवाद का समाधान आपसी बातचीत और द्विपक्षीय समझौतों से निकाला जाए।
थाई प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा ने पुष्टि की है कि उन्होंने अपने कंबोडियाई समकक्ष हुन मानेट और पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन से इस मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की है। उन्होंने कहा, “हमने शांति और पारदर्शिता के रास्ते पर चलते हुए एक-दूसरे की बात सुनी है। हमारी प्रतिबद्धता ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं और हम बिना किसी टकराव के स्थिति को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं।”
हालांकि, कंबोडिया की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाने की मंशा के चलते थाई सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह अभी भी आईसीजे के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देती।
गौरतलब है कि 28 मई को दोनों देशों की सीमा पर स्थित एमराल्ड ट्राएंगल क्षेत्र में सैनिकों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की जान चली गई थी। इस घटना के बाद से ही विवाद और अधिक गंभीर हो गया है।
अब सबकी निगाहें 14 जून को होने वाली JBC बैठक और कंबोडिया द्वारा आईसीजे में उठाए जाने वाले कदमों पर टिकी हैं, जो इस क्षेत्र की शांति और भविष्य को तय कर सकते हैं।