तेल अवीव। पश्चिम एशिया में उथल-पुथल के बीच बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित युद्धविराम प्रस्ताव को इजरायल ने मंजूरी दे दी है। हालांकि, इजरायल ने दो टूक कहा है कि अगर ईरान की ओर से युद्धविराम का कोई भी उल्लंघन हुआ, तो उसका जवाब बेहद कठोर और निर्णायक होगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया, “इजरायल ने अमेरिका के साथ समन्वय में ईरान के साथ युद्धविराम पर सहमति जताई है। लेकिन अगर ईरान ने कोई हरकत की, तो उसका माकूल जवाब दिया जाएगा।”
इजरायली प्रधानमंत्री ने इस फैसले से पहले रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और मोसाद प्रमुख के साथ अहम बैठक की। बयान में कहा गया है कि ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के सभी प्रमुख लक्ष्य पूरे कर लिए गए हैं। इजरायली सेना ने तेहरान के हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया है, ईरान के सैन्य नेतृत्व को गहरी चोट दी गई है और कई अहम सरकारी ठिकानों को तबाह कर दिया गया है।
इस ऑपरेशन में एक और बड़ा खुलासा किया गया – इजरायल ने दावा किया है कि उसके हमलों में ईरान का एक और वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक मारा गया है। 23 जून को तेहरान में हुए हमले में सैकड़ों बसीज लड़ाके भी मारे गए।
इजरायल ने अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप को खुलकर धन्यवाद दिया है। बयान में कहा गया, “ईरानी परमाणु खतरे को खत्म करने और इस ऑपरेशन में अमेरिका की भागीदारी के लिए इजरायल आभारी है। राष्ट्रपति ट्रंप के सहयोग से ही यह संभव हो सका।”
इससे पहले ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर कहा था, “युद्धविराम अब लागू हो गया है, कृपया इसका उल्लंघन न करें।” उन्होंने यह भी बताया कि यह सीजफायर छह घंटे बाद शुरू होगा और पहले 12 घंटे के लिए पूर्ण युद्धविराम रहेगा, इसके बाद इसे स्थायी रूप से लागू माना जाएगा।
ट्रंप के ऐलान के कुछ ही देर बाद इजरायली अधिकारियों ने भी स्थानीय मीडिया को जानकारी दी कि अगर सभी पक्ष सीजफायर का पालन करते हैं, तो संघर्ष पर विराम लग सकता है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या यह युद्धविराम लंबे समय तक टिक पाएगा या फिर हालात एक बार फिर विस्फोटक होंगे।