गंगटोक। पांच साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर आस्था की राह खुल गई है। सिक्किम मार्ग से कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा का शुभारंभ हो गया है। शुक्रवार को एक ऐतिहासिक क्षण में राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने नाथूला दर्रे पर तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस खास मौके पर राज्यपाल ने यात्रियों से मुलाकात की, उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनकी सुरक्षित व सफल यात्रा की कामना की। उन्होंने इस यात्रा के पुनः आरंभ को भारत-चीन संबंधों में मैत्री की नई पहल और भारतीय आध्यात्मिक विरासत की पुनर्स्थापना बताया। कैलाश यात्रा न केवल हिंदू बल्कि बौद्ध और जैन समुदाय की आस्था का भी केंद्र है।
राज्यपाल ने इस पावन यात्रा के पुनरारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि सिक्किम के रास्ते यह तीर्थयात्रा शुरू होना राज्य के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, भारतीय सेना और राज्य सरकार के योगदान की सराहना की।
इस वर्ष तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे में कुल 33 लोग शामिल हैं, जिनमें दो अनुरक्षक और एक डॉक्टर भी हैं। तीर्थयात्रियों का पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और फिर उन्हें उच्च हिमालयी स्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए 18 मील और शेरेथांग में जलवायु अनुकूलन की प्रक्रिया से गुजराया गया।
नाथूला दर्रे पर आयोजित हरी झंडी समारोह में सिक्किम विधानसभा की उपाध्यक्ष राजकुमारी थापा, मंत्री टीटी भोटिया, पूरन गुरुंग, एनबी दाहाल, विधायक पामिना लेप्चा और अन्य कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
चीन की ओर से भी तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जहां से वे कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की अपनी पवित्र यात्रा को आगे बढ़ाएंगे। इस पूरी यात्रा का संचालन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, सिक्किम पर्यटन विकास निगम और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के संयुक्त प्रयासों से किया जा रहा है।
यह यात्रा न केवल एक धार्मिक परंपरा की वापसी है, बल्कि एक आध्यात्मिक पुल है, जो सीमाओं से परे जुड़ाव और विश्वास का संदेश देता है।