संसद का बजट सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, वक्फ संशोधन विधेयक को मिली ऐतिहासिक मंजूरी

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को हुई थी और 13 फरवरी को मध्यावकाश के बाद 10 मार्च को पुनः शुरू हुआ था। इस पूरे सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में कुल 26 बैठकें हुईं – पहले चरण में 9 और दूसरे चरण में 17।

रिजिजू ने दी जानकारी

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया था। इस पर लोकसभा में 17 घंटे 23 मिनट और राज्यसभा में 21 घंटे 46 मिनट तक चर्चा चली।

1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया गया, जिस पर दोनों सदनों में व्यापक चर्चा हुई – लोकसभा में 16 घंटे 13 मिनट और राज्यसभा में 17 घंटे 56 मिनट तक।

संसदीय कार्य और विधेयकों की स्थिति

सत्र के दूसरे भाग में कई अहम मंत्रालयों – रेल, जलशक्ति, कृषि एवं किसान कल्याण – की अनुदान मांगों पर चर्चा और मतदान हुआ। इसके साथ ही:

  • विनियोग विधेयक 21 मार्च को लोकसभा में पारित हुआ।
  • वित्त विधेयक 2025 को 25 मार्च को लोकसभा और 27 मार्च को राज्यसभा ने पारित किया।
  • मणिपुर के लिए राष्ट्रपति शासन की घोषणा को भी दोनों सदनों ने 3 और 4 अप्रैल को मंजूरी दी।

वक्फ संशोधन विधेयक बना ऐतिहासिक उपलब्धि

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को निरस्त करने वाला विधेयक दोनों सदनों में पारित हुआ। इसके लिए लोकसभा ने 15 घंटे और राज्यसभा ने 17 घंटे से अधिक बैठक की, जिसे एक अभूतपूर्व उपलब्धि बताया गया है।

इसके अलावा त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, आप्रवास एवं विदेशियों विषयक विधेयक, और बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक भी पारित किए गए।

उत्पादकता और विधायी आंकड़े

  • इस सत्र में कुल 11 विधेयक दोबारा प्रस्तुत किए गए (10 लोकसभा में, 1 राज्यसभा में)।
  • लोकसभा ने 16 विधेयक पारित किए, जबकि राज्यसभा ने 14 विधेयकों को पारित या लौटा दिया।
  • कुल मिलाकर 16 विधेयकों को दोनों सदनों से मंजूरी मिली

लोकसभा की उत्पादकता 118% और राज्यसभा की 119% दर्ज की गई – जो बेहद सकारात्मक मानी जा रही है।

वक्फ विधेयक पर अंतरात्मा की सुनवाई

एक सवाल के जवाब में रिजिजू ने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक पर मतदान के दौरान कुछ गैर-भाजपा सांसदों ने अंतरात्मा की आवाज पर मतदान किया – चाहे वह समर्थन में हो या विरोध में। इससे यह स्पष्ट होता है कि विधेयक पर राय केवल राजनीतिक आधार पर नहीं बनी, बल्कि व्यक्तिगत विवेक भी महत्वपूर्ण रहा।

PM MODI, SAD

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