नई दिल्ली: भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को एक और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। यूनेस्को ने श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अपने प्रतिष्ठित ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल कर लिया है। यह न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि हमारी सभ्यता की कालातीत गहराइयों को वैश्विक मंच पर सम्मानित करने वाला एक ऐतिहासिक अवसर भी है।
इस घोषणा के साथ ही अब भारत के कुल 14 ऐतिहासिक अभिलेख इस अंतरराष्ट्रीय सूची का हिस्सा बन चुके हैं। यूनेस्को ने शुक्रवार को अपने रजिस्टर में दुनिया भर से 74 नई दस्तावेजी धरोहरें जोड़ीं, जिनमें 72 देशों और 4 अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अमूल्य कृतियाँ सम्मिलित हैं। इनमें वैज्ञानिक क्रांति, महिलाओं का ऐतिहासिक योगदान और बहुपक्षीय संवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित दस्तावेज शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्षण भारत की शाश्वत ज्ञान परंपरा और कलात्मक विरासत के लिए अत्यंत गौरवशाली है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र सिर्फ ग्रंथ नहीं, हमारे दर्शन, सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक चेतना की आधारशिला हैं।“
इन रचनाओं ने न केवल भारतीय समाज की सोच, अभिव्यक्ति और जीवन शैली को दिशा दी है, बल्कि पूरी दुनिया को भी शांति, दर्शन और कला का मार्ग दिखाया है। यूनेस्को द्वारा इनका सम्मान, भारत की आत्मा के प्रति एक वैश्विक नमन है।