रुद्रप्रयाग/मद्महेश्वर/उखीमठ। आस्था, श्रद्धा और देवत्व के रंगों में रंगे उत्तराखंड के पंचकेदारों में से एक द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार को विधिविधान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। शुभ कर्क लग्न में पूर्वाह्न 11:30 बजे मंदिर के कपाट खुले तो परिसर “ॐ नमः शिवाय” के जयकारों से गूंज उठा और माहौल भक्ति में डूब गया।
कपाटोद्घाटन से पहले सुबह 10:30 बजे विशेष पूजा-अर्चना की गई, जिसमें भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली की अगवानी पूरे विधि-विधान के साथ की गई। डोली के मंदिर में आगमन के बाद, पुजारी शिवलिंग स्वामी ने स्वयंभू शिवलिंग का समाधि रूप श्रृंगार किया। इसके बाद श्रद्धालुओं को पहले निर्वाण दर्शन और फिर श्रृंगार दर्शन का सौभाग्य मिला।
पूरे मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था, जो इस पावन क्षण की दिव्यता को और बढ़ा रहा था। परंपरा के अनुसार, भगवान की डोली ने कपाट खुलने से पहले मंदिर भंडार और पूजन सामग्री का निरीक्षण भी किया।
इस भव्य अवसर पर 300 से अधिक श्रद्धालु और तीर्थयात्री मंदिर परिसर में मौजूद रहे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि इस बार बड़ी संख्या में भक्तजन भगवान के दर्शन को पहुंचेंगे। समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, विजय कपरवाण और मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने भी अपनी प्रसन्नता जाहिर की।
बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि भगवान मद्महेश्वर की डोली 18 मई को उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना हुई थी। यात्रा में डोली ने 19 मई को रांसी के राकेश्वरी मंदिर और 20 मई को गौंडार गांव में रात्रि विश्राम किया। इसके बाद 21 मई को भोर में मद्महेश्वर मंदिर पहुंची।
इस पावन अनुष्ठान में पंच गोंडारी हक-हकूकधारी, पूर्व बीकेटीसी सदस्य शिवसिंह रावत, वेदपाठी अरुण नौटियाल, मंदिर प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, देवरा प्रभारी देवेंद्र पटवाल, डोली प्रभारी दीपक पंवार और स्थानीय श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में सहभागिता रही।
आस्था और परंपरा का यह संगम मद्महेश्वर में एक बार फिर साक्षात शिव की उपस्थिति का आभास करा गया।