वेटिकन सिटी। कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। वेटिकन ने कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट को नया पोप चुन लिया है। खास बात यह है कि 69 वर्षीय प्रीवोस्ट पहले अमेरिकी हैं जिन्होंने इस सर्वोच्च पद पर जगह बनाई है। उनके चयन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे देश के लिए “बेहद गर्व का पल” बताया है।
प्रीवोस्ट को मतदान के जरिए पोप चुना गया और अब वह दिवंगत पोप फ्रांसिस के उत्तराधिकारी बनकर पोप लियो के नाम से दुनिया भर के 1.4 अरब कैथोलिकों का नेतृत्व करेंगे। सेंट पीटर बेसिलिका की ऐतिहासिक बालकनी से अपने पहले संबोधन में उन्होंने शांति का संदेश दिया और दिवंगत पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शिकागो में जन्मे प्रीवोस्ट का जीवन मिशनरी कार्यों से भरा रहा है। उन्होंने दक्षिण अमेरिका में लंबे समय तक सेवा दी और पेरू में बिशप के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई। हाल ही में वे वेटिकन में बिशप नियुक्तियों के अहम कार्यालय का नेतृत्व कर रहे थे। चर्च को उम्मीद है कि वे पोप फ्रांसिस की सुधारवादी नीतियों को आगे ले जाएंगे।
पोप चयन प्रक्रिया भी दिलचस्प रही। 133 वोटिंग कार्डिनल्स में से दो-तिहाई बहुमत के साथ प्रीवोस्ट को चुना गया। जैसे ही सिस्टिन चैपल से सफेद धुआं उठा, दुनिया भर में यह संदेश पहुंच गया कि नया पोप मिल गया है।
रॉबर्ट प्रीवोस्ट ने गणित में स्नातक डिग्री और धर्मशास्त्र में डिप्लोमा प्राप्त किया है। उन्हें 1982 में पुजारी नियुक्त किया गया था। अक्सर कहा जाता था कि अमेरिका के वैश्विक राजनीतिक प्रभाव के कारण अमेरिकी कार्डिनल्स को पोप बनने का मौका नहीं मिलता, लेकिन इस बार इतिहास ने करवट ली है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कार्डिनल्स का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह अमेरिका के लिए बड़ी उपलब्धि है। वहीं, पोप लियो (प्रीवोस्ट) ने अपने नए दायित्व के लिए कार्डिनल्स का आभार जताया है।