नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के खिलाफ आज देशभर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान और जिहादी आतंकवाद के खिलाफ जंतर मंतर पर पुतला दहन किया और अपनी आवाज बुलंद की। देश के कोने-कोने में हुए इन प्रदर्शनों में लाखों लोग एकजुट होकर आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ अपनी नफरत जाहिर करते हुए आक्रोशित थे। उन्होंने यह संकल्प लिया कि अब जिहादी आतंकवाद और पाकिस्तान की काफिरोफोबिया मानसिकता का समूल नाश किया जाएगा।
जंतर मंतर पर हुई इस भव्य रैली में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को पूरी दुनिया से उखाड़ फेंकें। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को आतंकियों के चंगुल से मुक्त कर भारत में फिर से मिलाना हमारा लक्ष्य है। कश्मीर की समृद्धि का आधार पर्यटन है, और इस हमले के जरिए घाटी के पर्यटन उद्योग को खत्म करने का जो प्रयास किया गया है, वह असफल रहेगा।”
उन्होंने कहा, “भारत सरकार के कड़े कूटनीतिक कदम और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने की वजह से अब यह देश पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है। हम पाकिस्तान को उसकी कुत्सित हरकतों का कड़ा जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
वहीं, बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दोनेरिया ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया और आतंकवाद के खिलाफ अपनी ताकत और समर्पण का परिचय दिया।
हरियाणा के रोहतक में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा, “पहलगाम की घटना सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि हमारे देश की संप्रभुता और हिंदू समाज के सामने एक बड़ी चुनौती है। सीमा पर सरकार लड़ाई शुरू कर चुकी है, और हम विश्वास करते हैं कि इसके परिणाम शीघ्र ही सामने आएंगे। लेकिन अंदरूनी युद्ध के लिए हमें सभी हिंदू समाज और राष्ट्रवादी शक्तियों को एकजुट करना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा, “हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने आसपास छिपे आतंकियों को पहचान कर देश के सुरक्षा बलों के हाथ मजबूत करें, ताकि हम अपने देश को सुरक्षित रख सकें।”
देशभर में सैकड़ों स्थानों पर हुए इन विरोध प्रदर्शनों में “पाकिस्तान मुर्दाबाद”, “आतंकवाद का खात्मा करो”, “हिंदुओं का नरसंहार नहीं सहेंगे” जैसे नारे गूंजे। इन प्रदर्शनों में सभी धर्मों, समाजों और राष्ट्रवादी विचारों के बुद्धिजीवियों और संगठनों के प्रमुख लोग शामिल हुए। सभी की एक ही आवाज थी – “अब बहुत हो चुका! जिहादी आतंकवाद का सफाया और पाकिस्तान को सख्त सजा देना आवश्यक है।”