नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें कुछ जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसी संदर्भ में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने जोर दिया कि न्यायपालिका और विधायिका को एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
“वक्फ संशोधन विधेयक की हुई गहन जांच”
रिजिजू ने कहा कि उन्होंने किसी अन्य विधेयक की इतनी व्यापक समीक्षा नहीं देखी, जिसमें एक करोड़ लोगों की भागीदारी हो, जेपीसी की सबसे अधिक बैठकें हों और संसद में इस पर ऐतिहासिक चर्चा हुई हो।
बंगाल की मुख्यमंत्री पर निशाना
उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वक्फ कानून को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। रिजिजू ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उनके पास संवैधानिक और नैतिक रूप से ऐसा निर्णय लेने का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट करेगा सीमित दायरे में सुनवाई
हालांकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह विधायिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन संविधान से जुड़े मुद्दों पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए वह तैयार है। कोर्ट इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा।
सरकार ने दायर किया कैविएट आवेदन
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट (पक्ष रखने का अनुरोध) आवेदन दाखिल किया है, ताकि किसी भी याचिका पर सुनवाई से पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाए।
कई नेताओं ने दी है चुनौती
वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वालों में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद, आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान, सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग शामिल हैं। याचिकाओं में आरोप है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है और उनके समानता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।