नई दिल्ली। संसद की सबसे प्रतिष्ठित और पुरानी लोकलेखा समिति (पीएसी) का पुनर्गठन एक मई 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक की अवधि के लिए किया गया है। इस बार लोकसभा सांसद केसी वेणुगोपाल को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। लोकलेखा समिति भारतीय संसद द्वारा हर साल केंद्र सरकार के खर्च और स्वीकृत अनुदानों की जांच करती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग हो रहा है।
समिति भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्टों का भी गहराई से निरीक्षण करती है, जिसमें रक्षा, कर व्यवस्था, रेलवे, डाक सेवा जैसे अहम क्षेत्रों के साथ-साथ केंद्र सरकार की योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन भी शामिल है। इसके अलावा, समिति सरकारी खर्च में अनियमितताओं, विलंब, नुकसान और कर प्रशासन में खामियों को भी उजागर करती है।
दिलचस्प बात यह है कि 1967 से यह परंपरा बन चुकी है कि लोकसभा में विपक्ष के प्रमुख नेता को लोकलेखा समिति का अध्यक्ष बनाया जाता है। अब तक अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिंह राव, मुरली मनोहर जोशी और आर. वेंकटरमण जैसे कई दिग्गज नेताओं ने इस समिति की अध्यक्षता की है।
18वीं लोकसभा के पहले वर्ष (2024-25) में समिति ने 21 महत्वपूर्ण रिपोर्टें (4 मूल और 17 अनुपालन रिपोर्टें) पेश कीं। इस दौरान समिति ने वित्त, रक्षा, रेल, जल शक्ति, पर्यटन, विदेश मंत्रालय जैसे प्रमुख मंत्रालयों से मौखिक साक्ष्य लिए। इस साल के विषयों में जीएसटी, जीसैट-18 सैटेलाइट की कम उपयोगिता और स्पेशल ग्रेड कार्बन फाइबर जैसी चर्चित समस्याएं शामिल रही।