नई दिल्ली। सरकार ने विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के किनारे 501 वे-साइड एमिनिटीज़ (डब्ल्यूएसए) आवंटित किए हैं, जिनमें से 94 पहले ही चालू हो चुके हैं। वित्त वर्ष 2028-2029 तक इनकी संख्या 700 से अधिक पहुंचने की संभावना है।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी। इन सुविधाओं में ईंधन स्टेशन, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, शौचालय, पेयजल, पार्किंग, ढाबा-रेस्तरां और अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हैं। साथ ही, गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक डिजिटल फीडबैक प्रणाली भी स्थापित की गई है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी प्रतिक्रिया साझा कर सकते हैं।
डब्ल्यूएसए का संचालन निजी बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए ऑपरेटरों द्वारा किया जाता है। स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित करने और रोज़गार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से इन केंद्रों में दुकानों के लिए स्थान आवंटित किया गया है। साथ ही, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग के माध्यम से ग्राम हाट की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। हालांकि, चूंकि इन सुविधाओं का संचालन निजी ऑपरेटरों द्वारा किया जाता है, इसलिए रोज़गार सृजन से जुड़ा विशिष्ट डेटा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के माध्यम से, राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के किनारे हर 40-60 किलोमीटर की दूरी पर इन सुविधाओं के विकास की योजना बना रही है। अब तक, 501 डब्ल्यूएसए आवंटित किए जा चुके हैं, जिनमें से 94 संचालन में हैं। इनमें आंध्र प्रदेश में 5, असम में 3, गुजरात में 9, हरियाणा में 20, झारखंड में 1, कर्नाटक में 5, मध्य प्रदेश में 11, पंजाब में 2, राजस्थान में 20, तमिलनाडु में 5, उत्तर प्रदेश में 11 और पश्चिम बंगाल में 2 डब्ल्यूएसए शामिल हैं।