राष्ट्रपति मुर्मु: संतों ने सदैव समाज को सही दिशा दिखाई

छतरपुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत की समृद्ध परंपरा में संतों ने हमेशा अपने कर्म और उपदेशों से समाज को सही मार्ग दिखाया है। उन्होंने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और अंधविश्वास को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चाहे संत गुरुनानक हों, संत रविदास, कबीर दास, मीराबाई या संत तुकाराम – सभी ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने यह बातें बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले स्थित बागेश्वर धाम में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन के दौरान कहीं। उन्होंने इस विशेष अवसर पर नवविवाहित जोड़ों को शुभकामनाएं दीं और उनके सुखद जीवन की कामना की। उन्होंने आयोजन के लिए बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आभार व्यक्त किया।

महिलाओं से आत्मनिर्भर बनने का आह्वान

राष्ट्रपति ने कहा कि विवाहित जोड़ों को स्वावलंबी बनाने के लिए गृहस्थी का सामान देने के साथ-साथ उनके जीवनयापन के लिए आटा चक्की और सिलाई मशीन भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने महिलाओं से आत्मनिर्भर बनने की अपील करते हुए कहा कि जब महिलाएं सशक्त होंगी, तभी समाज और देश भी सशक्त बनेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे पूरा करने में सभी का योगदान आवश्यक है।

बेसहारा कन्याओं का सामूहिक विवाह

महाशिवरात्रि के अवसर पर बागेश्वर धाम में देश के विभिन्न राज्यों की 251 बेसहारा कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। इस भव्य आयोजन का नेतृत्व बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने किया। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु विशेष रूप से बागेश्वर धाम पहुंचीं, जहां उन्हें पं. धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमान यंत्र भेंट किया।

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी उपस्थित रहे। उन्होंने इस सामूहिक विवाह आयोजन की सराहना की और इसे समाज में समानता और सद्भाव को बढ़ावा देने वाला कदम बताया।

राष्ट्रपति का बागेश्वर धाम दौरा

इससे पहले, राष्ट्रपति विशेष वायुसेना विमान से खजुराहो एयरपोर्ट पहुंचीं, जहां से वे हेलिकॉप्टर द्वारा छतरपुर जिले के गढ़ा स्थित बागेश्वर धाम पहुंचीं। यहां उन्होंने बालाजी मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की और इसके बाद विवाह समारोह में शामिल हुईं।

राष्ट्रपति नवविवाहित जोड़ों के लिए उपहार के रूप में सूट और साड़ियां लेकर आई थीं, जिन्हें उन्होंने स्वयं नवविवाहितों को भेंट किया। राष्ट्रपति अपने इस प्रवास के दौरान लगभग चार घंटे बागेश्वर धाम में रहीं और इसके बाद दोपहर 3:10 बजे वडोदरा के लिए रवाना हो गईं।

विशेष अतिथियों की उपस्थिति

इस भव्य आयोजन में कई प्रसिद्ध हस्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें प्रसिद्ध गायक सोनू निगम, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, रॉबिन उथप्पा, आरपी सिंह, अभिनेता पुनीत वशिष्ठ और मशहूर पहलवान ‘द ग्रेट खली’ शामिल हैं।

जातिगत भेदभाव मिटाने की पहल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि बागेश्वर धाम ने जातिगत संघर्ष को खत्म करने और समाज में समानता लाने का कार्य किया है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए कहा कि इस आयोजन ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि मध्य प्रदेश सरकार सामूहिक विवाह में शामिल हुए प्रत्येक जोड़े को 51,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।

पं. धीरेंद्र शास्त्री का संदेश

पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब उन्होंने अपनी बहन के विवाह के लिए कठिनाइयों का सामना किया, तब उन्होंने संकल्प लिया कि भविष्य में किसी भी बेटी के विवाह में कोई बाधा न आए। उन्होंने बेटियों को बोझ मानने की मानसिकता को बदलने पर जोर दिया और कहा कि आज बेटियां भी ऊंचे शिखरों तक पहुंच रही हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि देश में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, सभी समान होते हैं। इसी सोच के साथ हर वर्ष यह सामूहिक विवाह उत्सव आयोजित किया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि मंदिरों की दान पेटियों का उपयोग बेसहारा बेटियों की शादियों के लिए किया जाए, तो भारत को ‘विश्व गुरु’ बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने विश्वास जताया कि इस समारोह में ब्याही गई बेटियां जब अपने नए घर जाएंगी, तो गर्व से कहेंगी कि बालाजी उनके पिता हैं और उन्होंने राष्ट्रपति के आशीर्वाद से विवाह किया है।

सामाजिक समरसता का संदेश

इस आयोजन ने सामाजिक समरसता और समानता का एक मजबूत संदेश दिया है। यह सिर्फ एक विवाह समारोह नहीं था, बल्कि समाज में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उत्थान और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। बागेश्वर धाम में आयोजित यह भव्य समारोह समाज के विभिन्न तबकों को जोड़ने और समरसता को बढ़ावा देने का प्रतीक बना।

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