अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में धार्मिक आस्था और भव्यता का अद्भुत संगम होने जा रहा है। 3 से 5 जून के बीच आठ नवनिर्मित मंदिरों में एक साथ विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि इन सभी मंदिरों को दृश्य माध्यमों (कैमरा और स्क्रीन) के जरिये आपस में जोड़ा जाएगा ताकि हर मंदिर में पूजन एकरूपता से संपन्न हो सके।
इस आयोजन की शुरुआत 2 जून को सरयू तट से भव्य जल कलश यात्रा के साथ होगी, जो पुराने पुल के पूर्वी छोर से निकलकर वीणा चौक, रामपथ, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल होते हुए यज्ञशाला तक पहुंचेगी।
तीन दिवसीय महाअनुष्ठान की रूपरेखा
प्राण प्रतिष्ठा का त्रिदिवसीय आयोजन ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी (3 जून) से शुरू होकर दशमी (5 जून) तक चलेगा। प्रतिदिन सुबह 6:30 बजे से शाम तक पूजन विधि चलेगी। अंतिम दिन, 5 जून को, प्राण प्रतिष्ठा का विशेष क्षण दोपहर 11:25 बजे निर्धारित किया गया है, जिसके बाद भोग और आरती के साथ अनुष्ठान संपन्न होगा।
ये मंदिर होंगे प्राण प्रतिष्ठा के केंद्र
- ईशान कोण: शिवलिंग
- अग्निकोण: श्री गणेश
- दक्षिणी भुजा: महाबली हनुमान
- नैऋत्य कोण: भगवान सूर्य
- वायव्य कोण: मां भगवती
- उत्तरी भुजा: मां अन्नपूर्णा
- मुख्य मंदिर के प्रथम तल: श्रीराम दरबार
- परकोटा का दक्षिण-पश्चिम कोना: शेषावतार प्रतिमा
कौन कराएंगे पूजन?
पूजन विधि का नेतृत्व काशी के विद्वान जय प्रकाश करेंगे, जो 5 अगस्त 2020 और 22 जनवरी 2024 को हुए पूजन अनुष्ठानों का भी हिस्सा रह चुके हैं। उनके साथ बस्ती के अमरनाथ समेत अन्य प्रमुख ऋत्विक भी सहयोग करेंगे।
श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था
हालांकि मंदिरों के आम दर्शन की तिथि पर अंतिम निर्णय अभी नहीं हुआ है, लेकिन प्रथम तल पर स्थित श्रीराम दरबार के लिए सीमित संख्या में ही दर्शन की अनुमति दी जाएगी। संभावना है कि प्रति घंटे 50 श्रद्धालुओं को ही प्रवेश पास दिया जाएगा।
यह आयोजन न सिर्फ आस्था का प्रतीक बनेगा, बल्कि रामनगरी अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक वैभव को भी एक नई ऊंचाई देगा।