मुंबई: राज ठाकरे के बयान ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख ने हाल ही में फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में एक अहम बयान दिया, जिसमें उन्होंने अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ रिश्तों को लेकर बड़ा खुलासा किया।
राज ठाकरे ने कहा, “मुझे उद्धव ठाकरे के साथ राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अगर महाराष्ट्र के हित में हमें एक साथ आना पड़ा, तो मैं इसके लिए तैयार हूं। हमारे व्यक्तिगत झगड़े और विवाद महाराष्ट्र और मराठी समुदाय के लिए बहुत महंगे साबित हो सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आने में कोई समस्या होनी चाहिए, बशर्ते यह केवल हमारी इच्छा पर निर्भर न हो, बल्कि इसका उद्देश्य महाराष्ट्र के बड़े हित को देखना हो।”
राज ठाकरे ने यह भी कहा, “महाराष्ट्र की राजनीति में सभी मराठी दलों को एकजुट होकर एक साझा पार्टी बनानी चाहिए, जिससे राज्य के विकास के लिए सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।”
2006 में अलग पार्टी बनाई
राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की स्थापना की थी। इस कदम के पीछे उद्धव ठाकरे से उनका मतभेद मुख्य कारण था, जब यह महसूस हुआ कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे अपने बेटे उद्धव को पार्टी में अधिक महत्व दे रहे थे। इसके बाद राज ठाकरे ने अपनी अलग पार्टी बनाई और महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी जगह बनाई।
सियासी सफर और भविष्य की रणनीति
राज ठाकरे का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन में प्रचार किया, लेकिन विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के अकेले संघर्ष का निर्णय लिया। एमएनएस ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन किसी भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई।
मराठी भाषा पर आक्रामक रुख
राज ठाकरे इन दिनों मराठी भाषा के प्रति अपने आक्रामक रुख के लिए चर्चा में हैं। उनकी पार्टी के कार्यकर्ता गैर-मराठी भाषियों से जबरन मराठी बोलने की मांग करते नजर आए हैं। हाल ही में जब महाराष्ट्र सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का निर्णय लिया, तो राज ठाकरे ने इसका कड़ा विरोध किया था।
एकनाथ शिंदे से मुलाकात और भविष्य की रणनीति
राज ठाकरे ने हाल ही में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे से भी मुलाकात की थी। इस मुलाकात पर शिंदे ने 16 अप्रैल को बयान दिया था, “क्या हम नहीं मिल सकते? बाल ठाकरे के जमाने से हम साथ काम करते रहे हैं, बीच में कुछ कारणों से यह नहीं हो पाया। हर मुलाकात को राजनीतिक नजरिए से देखना उचित नहीं है।”
अब यह सवाल उठ रहा है कि राज ठाकरे आगामी बीएमसी चुनाव में अकेले उतरेंगे या किसी गठबंधन के साथ? राजनीति में उनका अगला कदम क्या होगा, इस पर अटकलें तेज हैं।