राज्यसभा में न्यायिक सुधारों की मांग, जजों के लिए दो साल का ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ हो

नई दिल्ली। आज राज्यसभा में न्यायिक सुधारों का मुद्दा उठाया गया। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने शून्यकाल के दौरान कहा कि हाल ही में कुछ घटनाएं घटी हैं, जिससे देशवासियों में चिंता पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार को समाप्त करने की आवश्यकता है।

राघव चड्ढा ने कहा, “हम अदालत को न्याय का मंदिर मानते हैं। जब आम आदमी न्याय की खोज में अदालत पहुंचता है, तो उसे पूरा विश्वास होता है कि उसे न्याय मिलेगा। जैसा कि कहा जाता है कि ऊपर वाले के दरबार में देर है, पर अंधेर नहीं है, ठीक वैसे ही अदालत की चौखट पर भी देर हो सकती है, लेकिन अन्याय नहीं होगा। समय-समय पर न्यायपालिका ने इस विश्वास को मजबूत भी किया है, लेकिन हाल ही में कुछ घटनाओं ने देश को चिंतित कर दिया है।”

उन्होंने यह भी कहा कि देश में शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य और चुनावों के क्षेत्र में सुधार हुए हैं, अब न्यायिक सुधार की आवश्यकता महसूस हो रही है। ये सुधार ऐसे होने चाहिए जो न्यायिक भ्रष्टाचार को समाप्त करें।

चड्ढा ने जजों की नियुक्ति और उनके रिटायरमेंट के बाद की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली की कई खामियां सामने आई हैं, साथ ही लॉ कमीशन की रिपोर्ट और एनजेएसी जैसे कानून की आवश्यकता पड़ी। अब समय आ गया है कि कॉलेजियम प्रणाली अपने आप सुधार करे और नए तरीके खोजे, ताकि पारदर्शिता और सार्वजनिक जांच की कमी दूर हो सके, और एक स्वतंत्र तथा पारदर्शी प्रणाली स्थापित हो।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जजों के रिटायरमेंट के बाद कम से कम दो साल का “कूलिंग ऑफ पीरियड” होना चाहिए, जैसा कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के मामले में होता है। इस अवधि के दौरान, सेवानिवृत्त जजों को न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार किसी सरकारी पद पर नियुक्त कर सकती है। इस कदम से न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास और बढ़ेगा।

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