नई दिल्ली। राज्यसभा ने ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025’ को गुरुवार देर रात बहस के बाद पारित कर दिया। इस पर करीब 12 घंटे लंबी चर्चा हुई। जहां सत्तारूढ़ एनडीए ने इस विधेयक को अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुसलमानों के हित में बताया, वहीं विपक्षी दलों ने इसे “मुस्लिम विरोधी” करार देते हुए विरोध जताया।
विपक्ष द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया। विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट डाले गए। इससे पहले लोकसभा ने एक दिन पहले ही इस विधेयक को पारित कर दिया था।
विधेयक में प्रमुख प्रावधानों के तहत वक्फ ट्रिब्यूनलों को सशक्त बनाना, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, और विवाद निपटान की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और समयबद्ध बनाना शामिल है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक के ड्राफ्ट में सदस्यों के सुझावों के आधार पर कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कई ऐसे सदस्य जो खुद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के हिस्सा रहे, अब यह कह रहे हैं कि उनकी बात नहीं सुनी गई, जबकि उन्हीं के सुझावों के आधार पर संशोधन किए गए।
रिजिजू ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा, “वे बिना किसी तर्क के विधेयक को असंवैधानिक कह रहे हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों पर किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। यह पूरी तरह एक वैधानिक और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत संचालित निकाय रहेगा।
उन्होंने बताया कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें से केवल चार से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। इसी तरह, वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं हो सकते।
रिजिजू ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण के लिए लाया गया है और वक्फ संपत्तियों की पारदर्शी और जिम्मेदार प्रबंधन प्रणाली सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि एक बार वक्फ घोषित होने के बाद उसमें बदलाव संभव नहीं होता, इसलिए किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले सोच-समझकर निर्णय लेना जरूरी है।
सीएए का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय भी गलत धारणाएं फैलाई गई थीं, लेकिन बाद में कोई नुकसान नहीं हुआ। “फिर भी किसी ने माफी नहीं मांगी,” उन्होंने कहा।
विधेयक के साथ ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025’ भी पेश किया गया, जिसका उद्देश्य पुराने निष्क्रिय अधिनियमों को हटाना है। नए कानून को अंग्रेज़ी में UMMEED Bill (Unified Waqf Management Empowerment Efficient and Development) और हिंदी में एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम नाम दिया गया है।
रिजिजू ने कहा कि विधेयक का मकसद गरीब मुसलमानों के जीवन स्तर में सुधार लाना है और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व और हितों की रक्षा करना है।