राजतंत्र नहीं, केवल राजसंस्था की मान्यता चाहते हैं समर्थक दल

काठमांडू। नेपाल के पूर्व राजा के समर्थन में सड़कों पर उमड़ी भारी भीड़ के बाद राजा समर्थक राजनीतिक दलों ने स्पष्ट किया है कि वे राजतंत्र की बहाली की मांग नहीं कर रहे, बल्कि केवल राजसंस्था को सांस्कृतिक मान्यता देने की बात कर रहे हैं। इस आंदोलन के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या नेपाल में एक बार फिर राजतंत्र की वापसी संभव है।

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद पशुपति शमशेर राणा ने कहा कि नेपाल में बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ही सर्वोत्तम शासन प्रणाली है और हम सभी ने इसे स्वीकार किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका एजेंडा राजतंत्र की पुनर्स्थापना नहीं, बल्कि सिर्फ राजसंस्था को सांस्कृतिक मान्यता देना है। उनका कहना है कि राजा को देश के अभिभावक के रूप में सम्मान मिलना चाहिए।

राजा समर्थक नेता कमल थापा ने भी अपने बयान में कहा कि लोकतंत्र का विकल्प कभी राजतंत्र नहीं हो सकता। पूर्व उपप्रधानमंत्री थापा ने कहा कि नेपाली जनता फिर से निरंकुश शासन नहीं चाहती और वे लोकतंत्र के प्रति पूरी तरह से आस्थावान हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक दलों को मिलकर राजसंस्था की सांस्कृतिक भूमिका पर आम सहमति बनानी चाहिए।

पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के संवाद सचिव फणींद्र पाठक ने कहा कि राजा की कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है और उनकी भूमिका को तय करना नेपाल की जनता के हाथ में है। पाठक ने कहा कि भारत की मध्यस्थता में उस समय के शीर्ष नेताओं ने राजा को सांस्कृतिक अधिकार देने का वादा किया था, लेकिन बाद में उन्हें पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। अब नेपाल की जनता को खुद तय करने देना चाहिए कि वे किस तरह की राजसंस्था चाहते हैं।

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