देहरादून। “हौसले हों बुलंद, तो एवरेस्ट भी झुकता है!” उत्तराखंड के तीन जांबाज़ एनसीसी कैडेट्स ने यह कहावत सच कर दिखायी है। अदम्य साहस और अटूट संकल्प की मिसाल बनते हुए, प्रदेश के वीर युवाओं ने 18 मई को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर न सिर्फ देश का, बल्कि उत्तराखंड का भी मान बढ़ाया है।
इस गौरवशाली टीम में शामिल हैं कैडेट वीरेन्द्र सामन्त (29 उत्तराखण्ड वाहिनी एनसीसी, देहरादून), मुकुल बंगवाल (4 उत्तराखण्ड वाहिनी, पौड़ी) और सचिन कुमार (3 उत्तराखण्ड वाहिनी, उत्तरकाशी)। इन युवाओं ने न सिर्फ खतरनाक बर्फीली हवाओं और विकट मौसम का सामना किया, बल्कि मानसिक और शारीरिक थकावट को मात देकर इतिहास रच दिया।
कैडेट वीरेन्द्र सामन्त का कहना है, “यह जीत सिर्फ हमारी नहीं है, यह हर उस युवा की जीत है जो बड़े सपने देखता है और उन्हें पाने के लिए संघर्ष करता है।”
यह अभियान राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य युवाओं को साहसिक खेलों, नेतृत्व और आत्मनिर्भरता की भावना से जोड़ना है। इन कैडेट्स की यह साहसिक यात्रा देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
उत्तराखण्ड एनसीसी के अपर महानिदेशक मेजर जनरल रोहन आनन्द ने इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा, “इन कैडेट्स ने यह सिद्ध कर दिया कि हमारे युवा यदि ठान लें, तो कोई भी शिखर दूर नहीं। यह सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव की प्रतीक है।”
इन युवाओं की यह विजय गाथा हमें यह याद दिलाती है — जब इरादे मजबूत हों और दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो, तो एवरेस्ट भी झुक जाता है।