‘मनखे-मनखे एक समान’ के सिद्धांत से छत्तीसगढ़ में बढ़ेगी सामाजिक समरसता: राष्ट्रपति

रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती समारोह में भाग लिया और प्रदेशवासियों को 25 वर्षों की लोकतांत्रिक यात्रा की बधाई दी। उन्होंने विधानसभा की अनुकरणीय संसदीय परंपराओं की सराहना करते हुए, राज्य की स्थापना के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के असाधारण मार्गदर्शन को नमन किया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक यात्रा जन-आकांक्षाओं की सशक्त अभिव्यक्ति है। उन्होंने गुरु घासीदास जी के सिद्धांत ‘मनखे-मनखे एक समान’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह विचार समाज में समानता और समरसता को सुदृढ़ करेगा।

विधानसभा की अनुशासित परंपराओं की सराहना

राष्ट्रपति ने अपने विधायक कार्यकाल की स्मृतियाँ साझा करते हुए जनप्रतिनिधित्व को सेवा का सौभाग्य बताया। उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा को संस्कृति और नीति-निर्धारण का केंद्र बताते हुए उसकी अनुशासित और मर्यादित परंपराओं की सराहना की। विशेष रूप से, उन्होंने ‘स्वयमेव निलंबन’ नियम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कभी मार्शल का उपयोग नहीं करना पड़ा।

महिलाओं की सशक्त भूमिका की प्रशंसा

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ को मातृशक्ति का प्रतीक बताया और राज्य की सांस्कृतिक गरिमा को नमन किया। उन्होंने महिला विभूति मिनी माता के योगदान को याद किया और यह भी रेखांकित किया कि विधानसभा में वर्तमान में 19 महिला विधायक हैं, जबकि राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। उन्होंने महिला विधायकों से राज्य की अन्य महिलाओं के सशक्तिकरण में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया और ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना को साकार करने की अपील की।

समावेशी विकास की दिशा में छत्तीसगढ़

राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित 565 विधेयकों को समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं को रूढ़ियों पर आधारित प्रताड़ना से मुक्त कराने वाले कानून को विधानसभा का एक अहम योगदान बताया।

छत्तीसगढ़: प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य

उन्होंने छत्तीसगढ़ को खनिज, औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में असीम संभावनाओं से परिपूर्ण बताया। उन्होंने राज्य में पर्यावरण-संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और छत्तीसगढ़ के लोक शिल्प की अंतरराष्ट्रीय सराहना का भी उल्लेख किया। उन्होंने महानदी, हसदेव, इंद्रावती और शिवनाथ नदियों के योगदान की चर्चा करते हुए राज्य के नीति-निर्माताओं से विकास और प्रकृति के बीच संतुलन स्थापित करने की जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया।

वामपंथी उग्रवाद से मुक्ति की ओर निर्णायक कदम

राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में विकास और सामाजिक समावेश का कार्य अंतिम चरण में है। उन्होंने विश्वास जताया कि राज्य जल्द ही उग्रवाद से पूर्णत: मुक्त होकर अपने इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगा।

आदर्श लोकतांत्रिक संस्थान की ओर छत्तीसगढ़

राष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़ विधानसभा को आदर्श लोकतांत्रिक संस्थान बताते हुए राज्य के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से श्रेष्ठ छत्तीसगढ़ के निर्माण में समर्पित भावना से कार्य करने का आह्वान किया।

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