JITU PATWARI

मध्य प्रदेश में महिला मुद्दों पर गरमाई सियासत: जीतू पटवारी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, बोले- भाषण से पहले सुनें महिलाओं की सिसकियां!

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 31 मई को भोपाल दौरे से ठीक पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक भावुक और तीखा पत्र लिखकर प्रदेश में महिलाओं की बदहाल स्थिति को लेकर केंद्र सरकार का ध्यान खींचा है। पटवारी ने पत्र में प्रधानमंत्री से साफ तौर पर कहा है कि “आप जब जंबूरी मैदान से भाषण देंगे, उससे पहले प्रदेश की महिलाओं की अनसुनी आवाजों को भी जरूर सुनिए।”

जीतू पटवारी ने पत्र में महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान जैसे अहम मुद्दों को उठाते हुए कहा कि “यहां केवल नारे नहीं, नीतियों की ईमानदार समीक्षा और ज़मीनी क्रियान्वयन की दरकार है।” उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश की महिलाएं आज भी बुनियादी हक के लिए जूझ रही हैं, लेकिन सरकार सिर्फ प्रचार में व्यस्त है।

एनसीआरबी रिपोर्ट का हवाला देते हुए पटवारी ने जताई गहरी चिंता
पत्र में एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि महिला अपराधों में मध्य प्रदेश लगातार देश में अव्वल बना हुआ है। अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले भी सबसे ज्यादा हैं। इंदौर, भोपाल और ग्वालियर जैसे शहर बालिकाओं से दुष्कर्म के मामलों में ‘रेड ज़ोन’ बन चुके हैं।

लाड़ली बहना योजना पर वादाखिलाफी का आरोप
पटवारी ने लाड़ली बहना योजना को लेकर सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “चुनाव से पहले ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा किया गया था, लेकिन औसतन केवल ₹1250 मिल रहे हैं, वो भी अनियमित ढंग से। कई पात्र महिलाएं तकनीकी खामियों के चलते योजना से बाहर कर दी गई हैं और उनके लिए कोई अपील या सुनवाई की व्यवस्था तक नहीं है।”

ग्रामीण बालिकाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी उठे सवाल
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं की स्कूल छोड़ने की 22% से अधिक दर को लेकर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया। स्कूलों में शौचालय, सैनिटरी पैड्स, महिला शिक्षिकाएं जैसी जरूरी सुविधाएं अभी भी अधूरी हैं। पटवारी ने पूछा, “शिक्षा के नाम पर जो बजट खर्च हो रहा है, उसका असर आखिर कहां है?”

स्वास्थ्य के मोर्चे पर उन्होंने प्रदेश में उच्च मातृ मृत्यु दर और महिलाओं में भारी एनीमिया दर की ओर इशारा करते हुए कहा कि “सरकारी योजनाएं सिर्फ कागज़ों में हैं, जमीनी हकीकत डराने वाली है। गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस तक भगवान भरोसे चल रही हैं।”

राजनीति में महिला भागीदारी को बताया मज़ाक
राज्य सरकार में महिला मंत्रियों की गिनती ‘अंगुलियों पर’ बताकर पटवारी ने कहा, “33% आरक्षण के बावजूद पंचायतों और नगरीय निकायों में निर्णायक शक्ति अब भी पुरुषों के पास है। यह राजनीतिक उपेक्षा मध्य प्रदेश की महिलाओं को और कब तक झेलनी पड़ेगी?”

पत्र का निष्कर्ष: “प्रधानमंत्री सुनें, समझें और कुछ बदलें”
पटवारी ने अंत में प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि “आप जब प्रदेश की धरती पर कदम रखें तो भाषणों से इतर, मध्य प्रदेश की उन बहनों की आवाज़ बनें, जिनकी चीखें सत्ता के गलियारों में गुम हो चुकी हैं। क्योंकि महिला कल्याण सिर्फ नारों से नहीं, नीयत और नीति के मेल से ही मुमकिन है।”

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