देहरादून। करोड़ों हिंदुओं की श्रद्धा का केंद्र, भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया इस बार 22 अप्रैल से प्रारंभ होगी। बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की यह परंपरा पूरी तरह से अनूठी है। इस परंपरा के अनुसार, कपाट खोलने और बंद करने की तिथि टिहरी नरेश की जन्मपत्री के आधार पर निर्धारित की जाती है। इस वर्ष, केदारखंड के तीर्थ पुरोहितों ने 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने का निर्णय लिया है। इस दौरान, तेल कलश यात्रा 12 दिनों तक विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए 13वें दिन बदरीनाथ धाम पहुंचेगी, और 14वें दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए कपाट खोले जाएंगे।
छह महीने शीतकाल में ज्योर्तिमठ में रहती है शंकराचार्य की गद्दी
शीतकाल में, छह महीने तक शंकराचार्य की गद्दी ज्योर्तिमठ में रहती है, जबकि उधव और कुबेर पांडुकेश्वर में शीतकालीन वास करते हैं। भगवान बदरी विशाल, मां लक्ष्मी के साथ, छह महीने तक घृत कंबल ओढ़े रहते हैं। कपाट खुलने के दिन लक्ष्मी जी को लक्ष्मी मंदिर में स्थापित किया जाता है, और भगवान बदरीश की पंचायत शंकराचार्य की गद्दी, उधव और कुबेर जी की स्थापना के साथ सज जाती है। इस बार, नरेंद्रनगर राज दरबार में 22 अप्रैल को बदरीविशाल के दीपक और अभिषेक के लिए महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की उपस्थिति में सुहागन स्त्रियां पीले वस्त्र पहनकर गाडू घड़े के लिए तिल का तेल पिरोएंगी।
इसके बाद, 22 अप्रैल को शाम को ही तेल कलश (गाडू घड़ा) यात्रा श्री बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी और देर शाम को ऋषिकेश पहुंचेगी। 23 अप्रैल को सुबह ऋषिकेश में तेल कलश की पूजा-अर्चना होगी और श्रद्धालु इसके दर्शन करेंगे। इसके बाद, 23 अप्रैल को अपराह्न में गाडू घड़ा मुनिकी रेती में ठहरेगा, और 24 अप्रैल को मुनिकी रेती से श्रीनगर पहुंचेगा। 25 अप्रैल को तेल कलश यात्रा श्रीनगर के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर से डिम्मर गांव के लिए प्रस्थान करेगी। इसके बाद, यह यात्रा रुद्रप्रयाग होते हुए शाम को गाडू घड़ा श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तिमठ पहुंचेगा। श्री नृसिंह मंदिर में पूजा और भोग के बाद, 2 मई को गाडू घड़ा और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, श्री रावल अमरनाथ नंबूदरी जी के साथ श्री नृसिंह मंदिर से योगबदरी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे। 3 मई की शाम को, शंकराचार्य की गद्दी के साथ गाडू घड़ा यात्रा में पांडुकेश्वर से श्री उद्धव जी और श्री कुबेर जी की डोली भी शामिल हो जाएगी। इसके बाद, रविवार 4 मई को सुबह 6 बजे विधिपूर्वक श्री बदरीनाथ धाम के कपाट दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।