नई दिल्ली। भारत ने रविवार को 30 किलोवाट की लेजर आधारित हथियार प्रणाली का उपयोग कर फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जैसे अमेरिका, चीन और रूस, जिन्होंने ऐसी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया है। यह 30 किलोवाट की लेजर प्रणाली 5 किलोमीटर तक के हवाई खतरों जैसे ड्रोन और हेलीकॉप्टर को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष, डॉ. समीर वी कामत ने परीक्षण के बाद कहा कि इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने इस तरह की क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, और इजरायल भी इसी दिशा में काम कर रहा है। “हम इस प्रणाली का प्रदर्शन करने वाले दुनिया के चौथे या पांचवें देश हैं,” उन्होंने कहा। इस प्रणाली में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएं हैं, जैसे संचार और उपग्रह संकेतों को जाम करने की क्षमता, और यह जमीन और समुद्र आधारित मिशनों के लिए भी उपयुक्त है, जिससे भारत की रक्षा तैयारियों को और बढ़ावा मिलेगा।
यह लेजर प्रणाली सटीक लक्ष्यीकरण के लिए 360 डिग्री इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड सेंसर से लैस है और इसे हवाई, रेल, सड़क या समुद्र के माध्यम से जल्दी से तैनात किया जा सकता है। डॉ. कामत ने यह भी बताया कि डीआरडीओ 300 किलोवाट ‘सूर्य’ लेजर हथियार पर काम कर रहा है, जिसका परिचालन सीमा 20 किलोमीटर होगी। यह प्रणाली उच्च गति वाले हवाई खतरों जैसे मिसाइलों और मानव रहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो भारत की रक्षा क्षमता को और सुदृढ़ करेगा। यह विकास वैश्विक रुझानों के अनुरूप है, जो मिसाइल रक्षा और ड्रोन विरोधी अभियानों में उच्च शक्ति वाले लेजर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।