भारत को 2030 तक 600 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए: सीईईडब्ल्यू

नई दिल्ली। भारत को बिजली की बढ़ती मांग को विश्वसनीय और किफायती रूप से पूरा करने के लिए 2030 तक अपनी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 600 गीगावाट तक बढ़ाने की जरूरत है। यह निष्कर्ष काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की नई रिपोर्ट “हाउ कैन इंडिया मीट इट्स राइजिंग पॉवर डिमांड? पाथवेज टू 2030” से सामने आया है, जिसे बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित नेशनल डायलॉग ऑन पॉवरिंग इंडिया’ज फ्यूचर कार्यक्रम में जारी किया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, यदि बिजली की मांग केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के पूर्वानुमानों के अनुसार बढ़ती है, तो वर्तमान, निर्माणाधीन और नियोजित बिजली उत्पादन क्षमता 2030 तक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। हालांकि, यदि अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान वृद्धि या तेज आर्थिक विकास के कारण मांग अनुमान से अधिक बढ़ती है, तो 600 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करना सबसे प्रभावी और किफायती विकल्प होगा।

600 गीगावाट लक्ष्य में शामिल होगी विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा

  • सौर ऊर्जा: 377 गीगावाट
  • पवन ऊर्जा: 148 गीगावाट
  • जलविद्युत: 62 गीगावाट
  • परमाणु ऊर्जा: 20 गीगावाट

बिजली मांग में संभावित वृद्धि और चुनौतियाँ

रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब फरवरी 2025 में देश की बिजली मांग रिकॉर्ड 238 गीगावाट तक पहुंच गई थी और अनुमान है कि आगामी गर्मियों में यह 260 गीगावाट तक पहुंच सकती है। अगर भारत 2030 तक 400 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तक ही सीमित रहता है, तो बिजली की कमी को पूरा करने के लिए 10-16 गीगावाट नई कोयला क्षमता जोड़नी पड़ सकती है, साथ ही ट्रांसमिशन नेटवर्क में भी सुधार की आवश्यकता होगी।

सरकार की प्रतिबद्धता और विशेषज्ञों की राय

केंद्रीय विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि सरकार ने 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनाई हैं। 2014 में 76 गीगावाट से बढ़कर 2025 तक 220 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता तक पहुंचना, भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीईईडब्ल्यू ट्रस्टी डॉ. सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत का ऊर्जा परिवर्तन उसकी आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने ज़ोर दिया कि अभी से नवीकरणीय ऊर्जा की उच्च हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की योजना बनानी होगी, ताकि भविष्य के लिए उपयुक्त बाजार संकेत मिल सकें।

सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा कि भारत ने बिजली क्षेत्र में तेज़ी से विस्तार किया है। 2023 तक 98% घरों तक बिजली पहुंचाने और सौर एवं पवन ऊर्जा क्षमता को 2013 के मुकाबले पांच गुना बढ़ाने के साथ, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक देश बन गया है।

कार्यक्रम में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद, विद्युत वितरण कंपनियों के अधिकारी और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

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