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भारत के रियल एस्टेट सेक्टर ने 2025 की पहली छमाही में दिखाया दम, ऑफिस और आवासीय बाजारों में दिखी नई रफ्तार

मुंबई। भारत का कमर्शियल और आवासीय रियल एस्टेट बाजार 2025 की पहली छमाही में मजबूती के साथ उभरा है। देश के ऑफिस रियल एस्टेट सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेश में उल्लेखनीय उत्साह देखने को मिला, जो इस सेक्टर में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

नाइट फ्रैंक इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल से जून के बीच रियल एस्टेट सेक्टर में कुल 1.7 बिलियन डॉलर की 12 डील हुईं। हालांकि वैश्विक आर्थिक दबावों के चलते कुल पूंजी निवेश में थोड़ी सुस्ती रही, लेकिन ऑफिस सेगमेंट ने खुद को मजबूती से साबित किया। इस क्षेत्र में 706 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 22% ज्यादा है।

इस बढ़त के पीछे प्रमुख शहरों में स्थित ग्रेड-ए की उच्च गुणवत्ता वाली परिसंपत्तियों में किया गया रणनीतिक निवेश रहा। निवेशकों ने उन ऑफिस परिसरों को प्राथमिकता दी जो स्थिर या लगभग स्थिर नकदी प्रवाह दे रहे हैं, और ये अधिकतर संयुक्त उद्यमों या रीट-संरेखित प्लेटफॉर्म के जरिए किए गए।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि निवेश का वितरण तैयार और निर्माणाधीन परिसंपत्तियों में लगभग समान रहा — दोनों में 50-50 प्रतिशत का संतुलन देखा गया, जो आने वाले समय के लिए एक अहम संकेत है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, “भारत का कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर मजबूत बुनियाद पर खड़ा है। ऑफिस की वापसी, बढ़ते लेनदेन और मजबूत किराये की दरों से सेक्टर को निरंतर मजबूती मिल रही है।”

सिर्फ ऑफिस ही नहीं, बल्कि आवासीय क्षेत्र में भी सालाना आधार पर ग्रोथ दर्ज की गई है। वहीं, खुदरा खपत में भी स्थिरता बनी हुई है, जो देश की समग्र आर्थिक रफ्तार को दर्शाती है। बैजल का मानना है कि इन मजबूत संकेतों ने निवेशकों को भारत के रियल एस्टेट बाजार को दीर्घकालिक नजरिए से देखने के लिए प्रेरित किया है।

रिपोर्ट में एक और खास ट्रेंड पर रोशनी डाली गई — क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश की वापसी। इस साल की पहली छमाही में 500 मिलियन डॉलर के निवेश में से 60 प्रतिशत निवेश ऋण संरचनाओं के जरिए हुआ, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 40 प्रतिशत था।

इस दौरान बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों ने कैपिटल अब्सोर्प्शन में अग्रणी भूमिका निभाई, जहां लगभग 350 मिलियन डॉलर का प्रवाह दर्ज हुआ।

निष्कर्ष: भारत का रियल एस्टेट सेक्टर अब केवल विकास की रफ्तार नहीं पकड़ रहा, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद और आकर्षक विकल्प के रूप में उभरता जा रहा है।

PIYUSH GOYAL

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