नई दिल्ली: भारत की ओर से सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए श्रीलंका ने पाकिस्तान के साथ प्रस्तावित नौसैनिक अभ्यास को रद्द कर दिया है। यह अभ्यास श्रीलंका के रणनीतिक रूप से अहम त्रिंकोमाली तट पर आयोजित होने वाला था।
भारत ने इस प्रस्तावित युद्धाभ्यास को लेकर स्पष्ट आपत्ति जताई थी, खासकर इस वजह से कि पाकिस्तान की नौसेना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) नेवी के साथ लगातार बढ़ते सहयोग में लगी हुई है। त्रिंकोमाली में पाकिस्तानी युद्धपोतों की उपस्थिति ने भारत को विशेष रूप से सतर्क कर दिया, क्योंकि यह इलाका हिंद महासागर में भारत के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में श्रीलंका की यात्रा की थी। 4 अप्रैल को हुई इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत की आर्थिक सहायता से पूरी हुई कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। इसी बीच जानकारी मिली कि श्रीलंका और पाकिस्तान की नौसेनाएं त्रिंकोमाली में एक साझा अभ्यास की योजना बना रही हैं। भारत ने फौरन इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपनी रणनीतिक चिंताएं श्रीलंकाई सरकार के सामने रखीं।
भारत का कहना था कि भले ही श्रीलंका और पाकिस्तान के नौसैनिक संबंध सौहार्दपूर्ण हों और दोनों देशों के जहाज़ एक-दूसरे के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आते-जाते हों, लेकिन चीन की भागीदारी के मद्देनजर यह अभ्यास चिंताजनक है। भारत ने इससे पहले भी 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन के मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज़ ‘युआन वांग’ के आगमन को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद 2023 में एक और चीनी युद्धपोत की कोलंबो में मौजूदगी ने नई दिल्ली में फिर से चिंता की लहर पैदा कर दी थी।
इन सबके बावजूद, भारत ने श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के प्रयास जारी रखे हैं। विशेष रूप से त्रिंकोमाली के ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में भारत ने लगातार सहयोग किया है। हाल ही में, भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने मिलकर त्रिंकोमाली को एक ‘ऊर्जा केंद्र’ के रूप में विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी समझौते को अंतिम रूप दिया है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को नई रफ्तार देना है।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि त्रिंकोमाली का रणनीतिक महत्व अपार है। यह बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर हिंद महासागर पर भारत के प्रभाव को मजबूत कर सकता है। ऐसे में, भारत की ओर से प्रस्तावित पाकिस्तान-श्रीलंका नौसैनिक अभ्यास पर आपत्ति जताना एक सोच-समझा और आवश्यक कदम था।
हालांकि, इस अभ्यास की रद्दीकरण को लेकर श्रीलंका या पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन स्पष्ट है कि भारत की चिंताओं ने इस योजना को रोकने में अहम भूमिका निभाई है।