GDP

भारत की अर्थव्यवस्था बनी हुई है मजबूती पर कायम, वैश्विक चुनौतियों के बीच भी बरकरार है रफ्तार: बीओबी रिपोर्ट

नई दिल्ली। वैश्विक चुनौतियों और आर्थिक अनिश्चितताओं के माहौल में भी भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती से अपनी राह पर आगे बढ़ रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में खपत में जो तेजी दर्ज की गई है, वह देश की आर्थिक ताकत का प्रमाण है।

रिपोर्ट के अनुसार, हाई फ्रिक्वेंसी डेटा से साफ है कि पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही की तुलना में इस तिमाही में उपभोक्ता मांग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्टील की खपत, इलेक्ट्रॉनिक्स आयात और केंद्र सरकार के खर्च में इजाफा—इन तीनों पहलुओं से आर्थिक ऊर्जा का संकेत मिलता है।

सेवाओं के क्षेत्र में भी तेजी देखने को मिली है। सर्विस पीएमआई, डीजल खपत, वाहन पंजीकरण, ई-वे बिल और राज्यों के राजस्व संग्रह जैसे संकेतकों में उछाल दर्ज किया गया है। हालांकि, दोपहिया वाहनों की बिक्री और एफएमसीजी व कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में थोड़ी सुस्ती देखने को मिली है।

मौजूदा घरेलू महंगाई दर भी संतुलित बनी हुई है, जो कि नरम मौद्रिक नीति का संकेत देती है और इससे विकास को रफ्तार मिल सकती है।

खेती को मिलेगा मानसून का साथ

रिपोर्ट में मानसून को लेकर भी अच्छी खबर दी गई है। 9 जुलाई तक बारिश दीर्घकालिक औसत से 15% ज्यादा रही है, जिससे कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।

मजबूत हो रही सरकार की वित्तीय स्थिति

वित्तीय मोर्चे पर भी केंद्र सरकार की स्थिति में मजबूती देखने को मिली है। अप्रैल 2025 में जहां राजकोषीय घाटा GDP का 4.6% था, वह मई में घटकर 4.5% पर आ गया।

रुपये की स्थिति भी संतुलित

रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में डॉलर के मुकाबले रुपया 1.3% कमजोर हुआ था, लेकिन जून में यह गिरावट घटकर सिर्फ 0.2% रही। जुलाई की शुरुआत में भी रुपया मजबूती से कारोबार कर रहा है। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अगर 1 अगस्त की डेडलाइन से पहले सफल होता है तो इससे रुपए को और समर्थन मिलेगा।

वैश्विक स्तर पर बनी हुई हैं चुनौतियां

रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर वस्तु-विशिष्ट और देश-विशिष्ट टैरिफ की संभावनाएं फिर से महंगाई बढ़ने के संकेत दे रही हैं। अमेरिका की फेडरल रिजर्व की हालिया रिपोर्ट में भी यह चिंता सामने आई है, जिससे दरों में कटौती की राह कठिन होती नजर आ रही है।

निष्कर्ष: भले ही वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और तनाव बना हुआ है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल संतुलन और मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। सरकार की नीतिगत सक्रियता, खपत में तेजी और मजबूत मानसून इसके प्रमुख कारक बनकर उभरे हैं।

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