नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत और आइसलैंड भले ही भौगोलिक रूप से हजारों किलोमीटर दूर हों, लेकिन दोनों देशों को एकजुट करती है नवाचार (इनोवेशन) और हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किए गए एक पोस्ट में पुरी ने अपनी आइसलैंड यात्रा को “बेहद फलदायी और प्रेरणादायक” बताया। उन्होंने बताया कि आइसलैंड की उप स्थायी सचिव बर्गडिस एलर्ट्सडोटिर द्वारा भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए रात्रिभोज आयोजित किया गया, जिसमें आइसलैंड में भारत के राजदूत एम्ब बेनेडिक्ट होस्कुलडसन और कई ऊर्जा, व्यापार और बहुपक्षीय मामलों के विशेषज्ञ भी शामिल हुए।
पुरी ने लिखा, “आइसलैंड की मेहमाननवाजी और ऊर्जा क्षेत्र के पेशेवरों की गर्मजोशी से हम बेहद प्रभावित हुए। दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।”
अपनी यात्रा के दौरान पुरी ने ‘कार्बफिक्स’ कंपनी की मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी क्रिस्टिन इंगी लारुसन से भी मुलाकात की। यह कंपनी विशेष तकनीक से कार्बन डाइऑक्साइड को भूमिगत बेसाल्ट चट्टानों में इंजेक्ट कर उसे पत्थर में बदल देती है। पुरी ने कहा कि भारत के पश्चिमी तटीय इलाकों में भी ऐसे बेसाल्टिक संरचनाएं हैं, जो इस तकनीक के जरिए कार्बन कैप्चर और स्टोरेज में उपयोग की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की ग्रीन ट्रांजिशन यात्रा में यह तकनीक एक क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है।”
इसके अलावा पुरी ने आइसलैंड की सबसे बड़ी भू-तापीय ऊर्जा कंपनी ओएन पावर के सीईओ अर्नी हर्नार हेराल्डसन से रेक्जाविक में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने हेलिशेइदी और नेसजावेलिर भू-तापीय संयंत्रों की कार्यप्रणाली को समझा, जहां बिजली और गर्म पानी दोनों का उत्पादन होता है। साथ ही अंडाकिल्सा हाइड्रो स्टेशन के बिजली उत्पादन के मॉडल पर भी चर्चा की गई।
पुरी ने यह भी बताया कि उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में ओएन पावर के प्रयासों को जाना, जो भारत में ग्रीन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी हो सकते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में भू-तापीय ऊर्जा की काफी संभावना है, जहां इस तकनीक को अपनाया जा सकता है।