नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भविष्य के सैन्य संघर्षों पर अपनी चिंताओं को साझा करते हुए कहा कि आज साइबर और स्पेस डोमेन तेजी से नए युद्ध क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर नैरेटिव और परसेप्शन की एक खतरनाक जंग भी जारी है। इन सभी मल्टी स्पेक्ट्रम चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेनाओं को पूरी तरह से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने भविष्य के संघर्षों को और भी अधिक हिंसक और अप्रत्याशित बताया, साथ ही यह भी कहा कि तेजी से बदलती तकनीक के कारण भविष्य के युद्धों की प्रकृति पूरी तरह से बदल चुकी है।
राजनाथ सिंह ने यह टिप्पणी दिल्ली में ‘द वीक डिफेंस कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन सत्र में की। उन्होंने बताया कि भारत की राष्ट्रीय रक्षा अब पहले से कहीं अधिक मजबूत हो चुकी है, क्योंकि इसे हमारी रक्षा और रणनीतिक आवश्यकताओं के अनुरूप सशक्त किया गया है। अब, भारत न केवल एक मजबूत रक्षा क्षेत्र वाला देश बन चुका है, बल्कि दुनिया में अपनी छवि भी मजबूती से उभार रहा है। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत केवल एक विकसित देश के रूप में नहीं, बल्कि अपनी सैन्य ताकत के मामले में दुनिया का नंबर एक देश बनेगा।
राजनाथ सिंह ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। उनका कहना था कि यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हमारी गहरी प्रतिबद्धता है। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और सुरक्षा उपकरणों को और मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस डिफेंस कॉन्क्लेव की थीम ‘फोर्स फॉर दि फ्यूचर’ है, और यह एक समय की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जब सरकार में आए थे, तो रक्षा क्षेत्र को लेकर एक अजीब सोच थी। उस समय किसी ने भी भविष्य की सेनाओं के बारे में गंभीरता से नहीं सोचा था। लेकिन अब हमारी प्राथमिकता थी कि भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं को आयात पर निर्भर रहने के बजाय खुद पूरा करे और एक ऐसा रक्षा उद्योग स्थापित किया जाए जो न केवल देश की जरूरतों को पूरा करे, बल्कि दुनिया भर में रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा दे।
राजनाथ सिंह ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत घरेलू कंपनियों को भी प्रोत्साहन देने का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 2014 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 40 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 1 लाख 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। इस साल का लक्ष्य इसे 1.60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है, और 2029 तक इसे 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
आज भारत स्वदेशी मिसाइल, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट कैरियर, ड्रोन, साइबर डिफेंस और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के साथ दुनिया के विकसित देशों से मुकाबला कर रहा है, जो भारत की बढ़ती सैन्य ताकत का संकेत है।