नई दिल्ली। भारत का परिधान उद्योग आने वाले वर्षों में तेजी से आगे बढ़ने वाला है। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 से 2029 के बीच भारतीय परिधान बाजार में सालाना औसतन 11% की दर से वृद्धि होगी। यह अनुमान पिछले वर्षों की रफ्तार को देखते हुए लगाया गया है, जब FY20-24 के दौरान भी इसी गति से ग्रोथ दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट बताती है कि ब्रांडेड कपड़ों की बढ़ती मांग और लोगों की बेहतर खरीद क्षमता ने FY12-24 के दौरान ब्रांडेड सेगमेंट को 16% की सीएजीआर से बढ़ने में मदद की। खास बात यह है कि आने वाले समय में कैजुअल और ऐक्टिव वियर की मांग बूम पर रहेगी — कोरोना के बाद बदली लाइफस्टाइल ने इस सेगमेंट को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।
संगठित रिटेल की बड़ी छलांग
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संगठित मूल्य खुदरा (वैल्यू रिटेल) सेगमेंट, जो अब तक असंगठित बाजार के आगे दबा हुआ था, 2024 से 2029 के बीच 16% की सालाना दर से बढ़ने की संभावना है। उपभोक्ता अब संगठित ब्रांड्स और भरोसेमंद सप्लाई चेन की ओर तेजी से शिफ्ट कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स और विदेशी ब्रांड से मिल रही चुनौती
हालांकि, बाजार में प्रतिस्पर्धा भी तीव्र हो रही है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, इंटरनेशनल ब्रांड्स की एंट्री और ट्रेंड्स में तेजी से बदलाव इस इंडस्ट्री के लिए चुनौतियां पेश कर रहे हैं। लेकिन रिपोर्ट का मानना है कि मजबूत बिजनेस मॉडल और ग्राहकों पर गहरी पकड़ रखने वाले ब्रांड्स इन बाधाओं को पार कर सकते हैं।
एक्सपोर्ट फ्रंट पर भी अच्छी खबर
अप्रैल 2025 के आंकड़े भारतीय टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र के लिए उत्साहजनक हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल में भारत का कुल टीएंडए (टेक्सटाइल एंड अपैरल) निर्यात 7.45% बढ़ा है। खासतौर पर परिधान निर्यात में 14.43% की जबरदस्त उछाल देखी गई, जो पिछले साल अप्रैल के 1.2 बिलियन डॉलर की तुलना में इस साल 1.37 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
निष्कर्ष:
बढ़ती खपत, फैशन के प्रति जागरूकता और संगठित रिटेल की मजबूती के चलते भारतीय परिधान बाजार अब वैश्विक मंच पर और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाने को तैयार दिख रहा है। अगर यह गति बरकरार रही, तो भारत फैशन इंडस्ट्री का नया ग्लोबल हब बन सकता है।