SBI, State Bank of India

भारतीयों की बचत का बदलता रुख: शेयर बाजार में निवेश दोगुना, घरेलू बचत का तेज़ी से हो रहा वित्तीयकरण – SBI रिपोर्ट

नई दिल्ली। भारतीयों की बचत अब तिजोरी या पारंपरिक साधनों तक सीमित नहीं रही। देश में घरेलू बचत का रुख अब तेजी से इक्विटी और अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों की ओर बढ़ रहा है। एसबीआई रिसर्च की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों द्वारा अपनी बचत को शेयर बाजार में निवेश करने का रुझान बीते कुछ वर्षों में दोगुना हो गया है। वित्त वर्ष 2020 में जहां सिर्फ 2.5% घरेलू बचत इक्विटी में निवेश हो रही थी, वहीं वित्त वर्ष 2024 तक यह आंकड़ा 5.1% तक पहुंच गया।

बैंक ऋण और जमा में भी दिखा बड़ा बदलाव

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ऋण बाजार में भी बदलाव की बयार बह रही है। बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है। खासकर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) ने अपनी वृद्धिशील ऋण हिस्सेदारी को वित्त वर्ष 2018 के 20% से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2025 में अनुमानित 56.9% तक पहुंचा दिया है।

हालांकि, ऋण वृद्धि की रफ्तार में थोड़ी सुस्ती जरूर आई है। सेवा क्षेत्र और कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए ऋण मांग में गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, व्यक्तिगत ऋण की वृद्धिशील हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में घटकर 37% हो गई है, जो पिछले वर्ष 43% थी। वहीं, उद्योग क्षेत्र की हिस्सेदारी 11% से बढ़कर 17% हो गई है, जो अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन की ओर इशारा करता है।

‘4R रणनीति’ से सुधरा बैंकिंग सिस्टम

सरकारी बैंकों की हालत भी अब पहले से कहीं बेहतर हो गई है। सरकार की ‘4R रणनीति’ (पहचान, समाधान, पुनःपूंजीकरण और सुधार) की बदौलत बैंकों की खराब ऋण गुणवत्ता (NPA) में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में जहां NPA का स्तर 11.5% था, वहीं 2025 की पहली छमाही में यह घटकर 2.6% पर आ गया है।

एमएसएमई बन रहा है कर्ज का नया इंजन

भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष के अनुसार, “ऋण वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान एमएसएमई क्षेत्र का है, जो सालाना आधार पर 17.8% की दर से बढ़ रहा है।”

इसके अलावा, देश में निजी कर्ज सौदों का भी आकार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024 में निजी ऋण सौदों की कुल राशि ₹774 बिलियन रही, जो वर्ष 2023 की तुलना में 7% अधिक है। यह संकेत है कि देश में पूंजी की मांग और वित्तीय सशक्तिकरण दोनों ही रफ्तार पकड़ रहे हैं।

निष्कर्ष:
एसबीआई की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीय अनुशासन और निवेश का एक नया अध्याय शुरू हो चुका है। घरेलू बचत अब वित्तीय बाजारों की दिशा में बह रही है, जिससे न केवल पूंजी बाजार मजबूत हो रहा है, बल्कि बैंकिंग और उद्योग जगत को भी नई ऊर्जा मिल रही है।

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