रांची: बोकारो की बहुचर्चित वन भूमि घोटाले की गूंज अब झारखंड और बिहार में बड़े पैमाने पर सुनाई देने लगी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने सोमवार सुबह झारखंड और बिहार में कुल 15 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर सनसनी फैला दी। सुबह करीब 7 बजे शुरू हुई इस कार्रवाई से पूरे रांची शहर में खलबली मच गई।
ईडी की टीमें रांची के लालपुर, चुटिया और कांके रोड जैसे प्रमुख इलाकों में सक्रिय हैं। सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी की जद में कारोबारी विमल अग्रवाल और पुनीत अग्रवाल आए हैं। इनकी फर्म राजवीर कंस्ट्रक्शन पर भी शिकंजा कसा गया है। बता दें, इससे पहले 26 सितंबर 2023 को इनके ठिकानों पर जीएसटी विभाग भी छापेमारी कर चुका है। ये दोनों बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट से जुड़े बताए जा रहे हैं।
ईडी की कार्रवाई का दायरा यहीं तक सीमित नहीं है। बोकारो में 74.38 एकड़ जमीन खरीदने वाली कंपनी उमायुष मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े लोगों को भी इस जांच में घेरा गया है। यह पूरी कार्रवाई उस समय तेज की गई, जब ईडी ने इस घोटाले से जुड़े थानों में दर्ज एफआईआर को ईसीआईआर (ईडी की जांच रिपोर्ट) में तब्दील कर दिया।
घोटाले का सबसे पेचीदा पहलू है विवादित जमीन। वन विभाग का दावा है कि यह संरक्षित वन भूमि है, जबकि जमीन खरीदने वाले पक्ष का कहना है कि यह जमीन उनके पूर्वजों ने 1933 में ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी नीलामी में खरीदी थी।
इस विवाद ने अब न्यायपालिका के दरवाजे खटखटाए हैं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार और वन विभाग के विरोधाभासी दावों के चलते दो भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना का दोषी भी ठहराया जा चुका है।
झारखंड के इस हाई-प्रोफाइल मामले में ईडी की ताजा कार्रवाई से साफ हो गया है कि जांच की आंच अब और तेज़ होने वाली है।