ढाका। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद विभिन्न मुद्दों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जबकि अंतरिम सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। अब, फेनी नदी से भारत के त्रिपुरा राज्य को जलापूर्ति रोकने की मांग को लेकर एक कानूनी नोटिस जारी किया गया है। इसमें 2019 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) को लेकर आपत्ति जताई गई है।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के वकील मोहम्मद महमूदुल हसन ने जल संसाधन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और संयुक्त नदी आयोग के सदस्यों को नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि यह एमओयू त्रिपुरा के सबरूम शहर को फेनी नदी से 1.82 क्यूसेक पानी देने की अनुमति देता है, लेकिन इसे कोई आधिकारिक संधि नहीं माना जा सकता।
नोटिस में तर्क दिया गया है कि यह समझौता बांग्लादेश की संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं करता। संविधान के अनुच्छेद 145 और 145ए के अनुसार, किसी भी विदेशी समझौते को राष्ट्रपति और संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। साथ ही, भारत को जल आपूर्ति के बदले कोई लाभ न मिलने को लेकर भी आपत्ति जताई गई है।
इसके अलावा, नोटिस में आरोप लगाया गया है कि भारत अपनी पंपिंग तकनीक से जरूरत से अधिक पानी निकाल रहा है, जिससे फेनी नदी के पर्यावरणीय संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है। इसे बांग्लादेश की संप्रभुता का उल्लंघन बताया गया है।
नोटिस में यह भी कहा गया कि जब तक कोई औपचारिक संधि नहीं होती, तब तक त्रिपुरा को पानी की आपूर्ति तत्काल रोक दी जाए और भारतीय जल पंपों को हटा दिया जाए। यदि 15 दिनों के भीतर इस पर कार्रवाई नहीं होती, तो मामला उच्च न्यायालय में ले जाया जाएगा।
गौरतलब है कि फेनी नदी दक्षिण त्रिपुरा से निकलकर सबरूम होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है और आगे मुहुरी नदी से मिलती है।