ढाका। बांग्लादेश के दिल दहला देने वाले 2001 के रमना बटामुल नरसंहार मामले में दोषियों की सजा पर उच्च न्यायालय 8 मई को अपना फैसला सुनाएगा। जस्टिस मुस्तफा जमान इस्लाम और जस्टिस नसरीन अख्तर की पीठ ने आज यह तारीख तय की। पीठ ने 18 फरवरी को मृत्युदंड संदर्भ और दोषी ठहराए गए आरोपियों की अपीलों पर सुनवाई पूरी की थी, जिसके बाद सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
द डेली स्टार के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने बताया कि 14 अप्रैल 2001 को ढाका के रमना बटामुल में छायानौत के पहले बैशाख समारोह के दौरान दो बम धमाके हुए थे। इन बम विस्फोटों में 10 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। इस खौ़फनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
23 जून 2014 को ढाका की एक अदालत ने मुफ्ती अब्दुल हन्नान, मौलाना अकबर हुसैन उर्फ हेलालुद्दीन, मौलाना मोहम्मद ताजुद्दीन, हाफेज जहांगीर आलम बदर, मौलाना अबू बकर उर्फ सेलिम हवलदार, मुफ्ती शफीकुर रहमान, मुफ्ती अब्दुल हई और आरिफ हसन सुमन को मौत की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, मौलाना अबू ताहेर, मौलाना सब्बीर उर्फ अब्दुल हन्नान, मौलाना याहिया, मौलाना शौकत उस्मान, मौलाना अब्दुर रउफ और शहादत उल्लाह को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। सभी दोषी इस्लामी आतंकवादी समूह हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी के सदस्य हैं।
इसके अलावा, इस समूह के सबसे कुख्यात आतंकवादी मुफ्ती अब्दुल हन्नान को 13 अप्रैल 2017 को काशिमपुर उच्च सुरक्षा जेल में फांसी दे दी गई थी। हन्नान को 2004 में सिलहट में तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त अनवर चौधरी पर ग्रेनेड हमले के मामले में भी फांसी दी गई थी। इस हमले में शामिल कुछ अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं।
अब, इस खौ़फनाक नरसंहार में दोषियों की सजा पर अंतिम फैसला 8 मई को आने वाला है, जो पूरे बांग्लादेश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।