गांधीनगर/अहमदाबाद। राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू), गांधीनगर का तीसरा दीक्षांत समारोह शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने समारोह में 1,562 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की, जिनमें 12 को पीएचडी, एक को डॉक्टरेट ऑफ लॉ (एलएलडी) और अन्य को डिप्लोमा, स्नातक तथा स्नातकोत्तर की उपाधियां दी गईं। प्रतिभाशाली छात्रों को राष्ट्रपति द्वारा स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।
राष्ट्रपति मुर्मु ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि हमें एक न्यायसंगत और संवेदनशील न्याय प्रणाली के निर्माण के लिए समर्पित रहना होगा। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान के बढ़ते वैश्विक महत्व पर जोर देते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय से अब तक 15 देशों के 70 से अधिक छात्रों को डिग्री प्रदान की जा चुकी है। साथ ही, यह संस्थान सिविल सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, बैंकिंग, न्यायपालिका और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के 30,000 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित कर चुका है।
उन्होंने कहा कि अपराध नियंत्रण और न्याय तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित करने में फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है। देश में फोरेंसिक विज्ञान आधारित पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है, जिसके लिए उन्होंने गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय को बधाई दी।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे विज्ञान और तकनीक का उपयोग न्याय प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने के लिए करें। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष और शीघ्र न्याय ही उनका लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने 1 जुलाई 2024 को एक ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि इस दिन तीन नए कानून—भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023, भारतीय न्यायिक संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023—लागू किए गए, जो दंड के बजाय न्याय पर केंद्रित हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उन अपराधों में जहां सजा सात वर्ष या उससे अधिक है, वहां फोरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है, जिससे इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की आवश्यकता बढ़ेगी। इस जरूरत को पूरा करने में एनएफएसयू महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि अपराध नियंत्रण, अपराधियों में सजा का डर और नागरिकों को शीघ्र न्याय दिलाना ही सुशासन की असली पहचान है। उन्होंने विश्वविद्यालय से स्नातक होने वाले विद्यार्थियों, विशेष रूप से छात्राओं की अधिक संख्या पर खुशी जताई।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के उद्देश्य को तेजी से पूरा कर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को समाज में व्याप्त अमानवीय गतिविधियों और अनैतिक आचरण के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना कर युवाओं को नए अवसर दिए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को दुनिया का पहला ऐसा संस्थान बताया, जो इस क्षेत्र में शोध और शिक्षण के लिए समर्पित है। गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त कर चुका है और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि एनएफएसयू के परिसर अन्य राज्यों और युगांडा में भी संचालित हैं, जबकि विभिन्न राज्य सरकारों ने इसके साथ 147 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलावों का साक्षी बन रहा है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो रही है।
मुख्यमंत्री पटेल ने डिग्री प्राप्त करने वाले 1,562 भारतीय और 76 विदेशी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।