प्रधानमंत्री का भाषण नहीं बन सकता संसद में बहस का विकल्प: सीपीआई(एम) का तीखा हमला

कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) के महासचिव एम.ए. बेबी ने सोमवार रात तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टीवी पर दिया गया प्रधानमंत्री का भाषण संसद में खुली और जिम्मेदार चर्चा का विकल्प नहीं हो सकता।

फेसबुक पर अपने बयान में बेबी ने कहा, “लोकतंत्र एकतरफा रास्ता नहीं है। संसद में चर्चा ही लोकतंत्र की असली ताकत होती है, जिसे एकतरफा संबोधन से दबाया नहीं जा सकता।”

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि प्रधानमंत्री के भाषण से पहले ही उन्होंने एक पत्र भेजकर संघर्षविराम की घटनाओं और राष्ट्रीय चिंताओं पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी।

बेबी ने प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने भावुक भाषण में उन्होंने सीमा पार गोलाबारी में मारे गए लोगों और उनके परिजनों का कोई जिक्र नहीं किया, जो बेहद संवेदनशील मुद्दा है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर की जनता की सराहनीय भूमिका और आतंकी हमलों के पीड़ितों की मदद में उनके योगदान को भी नजरअंदाज कर दिया।”

सीपीआई(एम) महासचिव ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने न तो नफरत फैलाने वाले अभियानों की निंदा की, न ही सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हो रहे हमलों पर कोई स्पष्टीकरण दिया।

बेबी ने दो टूक कहा कि, “लोकतंत्र में संवाद जरूरी है, और प्रधानमंत्री का यह एकतरफा संबोधन संवाद से बचने का तरीका भर है।”

SHIVRAJ SINGH CHAUHAN

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