काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने माओवादी पार्टी को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है और यह साफ कर दिया है कि अतीत में किए गए जघन्य अपराधों को अब किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
पूर्व सैनिकों और पुलिसकर्मियों के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर ओली ने कहा, “नेपाल में वर्षों तक चले सशस्त्र विद्रोह के दौरान जिन निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों पर अत्याचार हुआ, उन्हें इंसाफ दिलाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह कोई राजनीतिक सौदेबाज़ी नहीं, बल्कि न्याय की पुकार है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि आम माफी की कोई गुंजाइश नहीं है, चाहे वह माओवादी आंदोलन की आड़ में हो या सत्ता के समीकरणों के तहत। ओली ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष नेपाल की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि संक्रमणकालीन न्याय को अब गंभीरता से लागू किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि सत्य निरूपण आयोग और लापता व्यक्तियों की जांच आयोग को मजबूत और जिम्मेदार बनाया जाएगा और उनके पुनर्गठन में अब और देरी नहीं होगी।
“हिंसा नहीं, लोकतंत्र ही हमारा रास्ता है”
प्रधानमंत्री ओली ने कहा, “देश ने हिंसा और विद्रोह का दौर पीछे छोड़ दिया है। अब हम लोकतंत्र की ओर अग्रसर हैं। हत्या, अराजकता या किसी भी तरह की धार्मिक कट्टरता को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने यह भी दोहराया कि नेपाल की एकता, संप्रभुता और सीमाओं से कोई समझौता नहीं होगा।
पूर्व सैनिकों और पुलिसकर्मियों से की भावुक अपील
प्रधानमंत्री ने सामाजिक सद्भाव की अहमियत को रेखांकित करते हुए पूर्व सैनिकों और पुलिस बलों से देश की मूल भावना और सिद्धांतों के प्रति अडिग रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय एकता का आधार सामाजिक सौहार्द है, और इस अभियान में सरकार सबसे आगे है – लेकिन हमें अपने वीर सैनिकों और सुरक्षाबलों की मजबूती से जरूरत है।”