पेरिस ओलंपिक के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय रिंग में उतरेंगी भारतीय महिला बॉक्सर, थाईलैंड ओपन और वर्ल्ड कप में दिखाएंगी दम

नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक के बाद भारतीय महिला मुक्केबाज पहली बार अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में कदम रखने जा रही हैं। दो बड़े टूर्नामेंट – थाईलैंड ओपन और वर्ल्ड बॉक्सिंग कप – में भारत की महिला बॉक्सर्स अपना जलवा बिखेरने को तैयार हैं।

24 मई से बैंकॉक में शुरू होने वाले थाईलैंड ओपन में वे रजत पदक विजेताओं के रूप में उतरेंगी, जबकि 30 जून से कज़ाखस्तान के अस्ताना में होने वाले वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में राष्ट्रीय चैंपियन भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर रिंग में उतरेंगे।

भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन (बीएफआई) ने इस बार नई चयन नीति लागू की है, जिसमें थाईलैंड ओपन के लिए रजत पदक विजेताओं को चुना गया है, जबकि वर्ल्ड कप में राष्ट्रीय चैंपियंस को मौका मिलेगा। यह नीति पुरुष और महिला दोनों वर्गों में समान रूप से लागू की गई है।

बीते सालों में कई अहम टूर्नामेंटों से दूर रहीं भारतीय महिला मुक्केबाजें, अब वापसी की तैयारी में हैं। बीएफआई में देरी और महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप की बार-बार स्थगन के कारण वे एशियन चैंपियनशिप और स्ट्रैंडजा मेमोरियल जैसे बड़े मंचों से दूर रहीं। हालांकि, पुरुष मुक्केबाजों ने अप्रैल में वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में वापसी की थी, अब महिलाओं के लिए भी बड़े मुकाबलों का समय आ गया है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि फिलहाल बीएफआई का चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टल चुका है और विश्व बॉक्सिंग संस्था की अंतरिम समिति भारतीय मुक्केबाजी के सभी मामलों का संचालन कर रही है।

इस वापसी से भारतीय महिला मुक्केबाजों को न केवल अपने हुनर का परिचय देने का सुनहरा मौका मिलेगा, बल्कि वे अपने आत्मविश्वास और मजबूत इरादों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करेंगी।

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