नई दिल्ली। भारत और उज्बेकिस्तान की सेनाएं एक बार फिर कंधे से कंधा मिलाकर ‘डस्टलिक’ के छठे संस्करण में उतर चुकी हैं! यह रोमांचक संयुक्त सैन्य अभ्यास बुधवार से पुणे के औंध स्थित विदेशी प्रशिक्षण नोड में शुरू हुआ है और 28 अप्रैल तक चलेगा। इस युद्धाभ्यास में भारत की ओर से 60 सदस्यीय टुकड़ी को जाट रेजिमेंट और भारतीय वायुसेना की एक बटालियन लीड कर रही है।
इस बार ‘डस्टलिक’ की थीम है – अर्ध-शहरी परिवेश में बहु-डोमेन उप-पारंपरिक संचालन, यानी एक ऐसा युद्धाभ्यास जो जमीनी हालात में असममित युद्ध से निपटने की तैयारी करता है।
पिछला संस्करण अप्रैल 2024 में उज्बेकिस्तान के टर्मेज़ जिले में हुआ था, और इस बार यह अभ्यास एक कदम आगे बढ़ते हुए आतंकवादी कब्जे वाले इलाके को पुनः नियंत्रण में लेने की रणनीति पर केंद्रित रहेगा। इसमें जनसंख्या नियंत्रण, तलाशी अभियान, आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमले और विशेष बलों द्वारा हवाई गोलाबारी शामिल होगी।
खास बात ये है कि इस बार अभ्यास में ड्रोन तकनीक, मानव रहित विमानों से निपटने के उपाय और हेलीबोर्न ऑपरेशनों की भी अहम भूमिका होगी। सेना और वायुसेना के विशेष बल रणनीतिक माउंटिंग बेस के लिए हेलीपैड तैयार कर रहे हैं – यानी यह सिर्फ एक अभ्यास नहीं, बल्कि भविष्य के युद्ध की झलक है!
‘डस्टलिक’ केवल सैन्य तकनीक का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास, सहयोग और आपसी समझ का भी प्रतीक है। इस अभ्यास से भारत और उज्बेकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई मजबूती मिलेगी और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी और गहराएगी।