कराची। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में संघीय सरकार की सिंधु नदी पर नहरों के निर्माण की योजना के खिलाफ विरोध तेज़ हो गया है। कराची से लेकर छोटे-से-बड़े गांवों तक, लोगों ने इस परियोजना का विरोध करते हुए बड़े पैमाने पर बगावत का झंडा उठा लिया है। अरब सागर के किनारे बसे कराची में अशांति की लहरें उठ रही हैं, और प्रदर्शनकारियों के धरना खत्म करने से इंकार करने के बाद 15,000 मालवाहक वाहन बीच रास्ते में फंस गए हैं।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी संघीय सरकार के आश्वासन पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं, और धरना समाप्त करने से साफ मना कर दिया है। इस आंदोलन से डरी हुई संघीय सरकार ने आखिरकार सिंधु नदी पर प्रस्तावित नहर परियोजना को रोकने का फैसला किया है। शुक्रवार को ट्रांसपोर्टर्स ने कहा कि आंदोलन की वजह से देश की आपूर्ति शृंखला बुरी तरह से प्रभावित हो गई है। ट्रांसपोर्ट गुड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तारिक गुज्जर ने बताया कि सुक्कुर-लरकाना डिवीजन और बहावलपुर के पास 15,000 से ज्यादा ट्रॉलर, कंटेनर, ट्रक और तेल टैंकर फंसे हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों के आंदोलन में कूदने से हालात और बिगड़ गए हैं। प्रदर्शनकारी अब दो मई का इंतजार कर रहे हैं, जब संघीय सरकार की ओर से नहर परियोजना को रोकने की आधिकारिक अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है।
संघीय सरकार ने गुरुवार को घोषणा की थी कि नहर परियोजना को तब तक स्थगित किया जाएगा, जब तक दो मई को होने वाली काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स की बैठक में आम सहमति नहीं बन जाती। इसी बीच, शुक्रवार रात पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एडवोकेट आमिर वराइच के बीच बैठक हुई।
सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि वे अवरुद्ध राजमार्गों को खोलें और माल की आवाजाही को फिर से शुरू करें। वहीं, कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष जावेद बिलवानी ने बताया कि इस आंदोलन के कारण पिछले 10-12 दिनों में निर्यात आदेशों और स्थानीय उत्पादन में 500 बिलियन रुपये (लगभग 1.8 बिलियन डॉलर) से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
इस सब के बीच, जेयूआई-एफ के सिंध महासचिव राशिद महमूद सूमरो ने संघीय सरकार के मौखिक आश्वासनों को खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला लिया था, जिसके बाद पाकिस्तान में एक नया विवाद पैदा हो गया है।