कोलकाता। पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरों को दुनिया के सामने बेनकाब करने के लिए मोदी सरकार के अंतरराष्ट्रीय मिशन से ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने किनारा कर लिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार ने 32 देशों और यूरोपीय संघ के सामने भारत की आतंकवाद-विरोधी नीति को मजबूती से रखने के लिए एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया, लेकिन टीएमसी ने इसमें भागीदारी से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, टीएमसी सांसद यूसुफ पठान को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें विदेश दौरे से रोक दिया। वहीं, वरिष्ठ सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय पहले ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पीछे हट चुके हैं।
टीएमसी के एक नेता ने सफाई दी, “विदेश नीति केंद्र सरकार का विषय है। हम सेना की बहादुरी को सलाम करते हैं और राष्ट्रहित में उठाए गए कदमों का समर्थन करते हैं, लेकिन इस दौरे की जिम्मेदारी पूरी तरह केंद्र की है।”
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से शशि थरूर, भाजपा से रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, डीएमके से कनिमोझी, जदयू से संजय झा और एनसीपी की सुप्रिया सुले जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। साथ ही गुलाम नबी आज़ाद, सलमान खुर्शीद और आनंद शर्मा जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री भी इस अभियान का हिस्सा हैं।
मई के अंत से ये प्रतिनिधिमंडल विश्व मंच पर पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका को उजागर करेंगे। ऐसे में टीएमसी का इससे किनारा करना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष का कहना है कि क्या टीएमसी अब पाकिस्तान पर सख्त रुख दिखाने से भी हिचकने लगी है?