नई दिल्ली। भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को जानकारी दी कि देश की पवन ऊर्जा क्षमता 10.5% की सालाना वृद्धि के साथ 51.5 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो बीते साल 46.42 गीगावाट थी।
‘ग्लोबल विंड डे’ के अवसर पर मंत्री जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “51.5 गीगावाट की पवन ऊर्जा क्षमता के साथ हम इनोवेशन, ग्रीन टेक्नोलॉजी और टिकाऊ विकास से सशक्त आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर हैं।”
उन्होंने देशवासियों से इस दिन को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में मील का पत्थर बताते हुए जश्न मनाने का आह्वान किया।
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है। मई 2024 तक देश की कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता 226.74 गीगावाट हो चुकी है, जो पिछले साल मई में 193.58 गीगावाट थी। यानी इसमें साल भर में 17.13% की जोरदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सौर ऊर्जा बनी बदलाव की धुरी
सिर्फ पवन नहीं, सौर ऊर्जा के मोर्चे पर भी भारत ने जबरदस्त प्रगति की है। मई 2024 में सौर क्षमता 110.83 गीगावाट तक पहुंच गई, जबकि मई 2023 में यह 84.28 गीगावाट थी। यह 31.49% की छलांग है।
2014 में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता केवल 2.82 गीगावाट थी, जो अब बढ़कर कई गुना हो चुकी है। इस प्रगति को घरेलू सौर सेल और वेफर उत्पादन ने मजबूती दी है। जहां 2014 में उत्पादन लगभग शून्य था, वहीं अब देश के पास 25 गीगावाट सौर सेल और 2 गीगावाट वेफर उत्पादन की क्षमता है।
2030 का लक्ष्य: 500 गीगावाट
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के कार्बन फुटप्रिंट को घटाने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।
भारत की यह प्रगति न सिर्फ एक ऊर्जा क्रांति का संकेत है, बल्कि यह दर्शाती है कि देश हरित भविष्य और सतत विकास की दिशा में एक सशक्त कदम बढ़ा चुका है।