पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद पीओसीटी की सेवाएं भी रोकी गईं, मरीजों को निजी लैब्स का रुख करना पड़ा

पटना। पटना हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति ने सिर्फ विवादास्पद कंपनी ही नहीं, बल्कि पहले से कार्यरत कंपनी पीओसीटी की सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं। यह वही कंपनी है जिसने टेंडर में अनियमितता की शिकायत के साथ अदालत का रुख किया था। समिति के इस फैसले के चलते आम लोगों को अब निजी लैब्स में महंगे दरों पर जांच करानी पड़ रही है।

हाई कोर्ट ने 24 मार्च को हिंदुस्तान वेलनेस और उसकी सहयोगी खन्ना लैब के साथ पैथोलॉजी अनुबंध को नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने पीओसीटी की सेवाएं भी रोक दीं, जबकि उसका अनुबंध 2027 तक वैध है। पीओसीटी ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन को पत्र लिखा है और इसे सेवा शर्तों का उल्लंघन बताया है।

गौरतलब है कि बिहार में सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी सेवाएं पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत दी जाती हैं। वर्ष 2019 में टेंडर प्रक्रिया के बाद पीओसीटी को अनुबंध मिला था, जिसे 2024 में बढ़ाकर 2027 तक कर दिया गया था। लेकिन अक्टूबर 2024 में विभाग ने नया टेंडर निकाला, जो शुरू से विवादों में घिरा रहा।

नवीन टेंडर प्रक्रिया में पहले एल-1 कंपनी साइंस हाउस को अपात्र ठहराकर दूसरे स्थान पर रही हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को वर्क ऑर्डर दे दिया गया, जबकि वे तकनीकी शर्तों पर खरी नहीं उतरीं। इसी के खिलाफ साइंस हाउस और पीओसीटी ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कीं।

कोर्ट की सुनवाई में यह सामने आया कि निविदा की शर्तों के अनुसार 90 दिन के भीतर कंसोर्टियम बनना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए वर्क ऑर्डर को रद्द कर दिया और राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा।

अब स्वास्थ्य सेवा समिति द्वारा सभी कंपनियों की सेवाएं रोक देने से सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी जांच बंद हो गई है और आम जनता को मुफ्त जांच की जगह निजी लैब में पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

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