नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने आज एक बड़ी सफलता हासिल की, जब उसने अपने नवीनतम युद्धपोत आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) को सफलतापूर्वक दागा। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज पर किया गया, जहां मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य को सटीक रूप से नष्ट किया। इस परीक्षण ने यह साबित कर दिया कि आईएनएस सूरत अब जहाज रोधी मिसाइलों को प्रभावी रूप से इंटरसेप्ट करने में सक्षम है।
आईएनएस सूरत ने आज अरब सागर में एक हवाई लक्ष्य पर मिसाइल का परीक्षण किया, जो 70 किलोमीटर की अवरोधन सीमा तक पहुंचने वाली थी। यह मिसाइल हर मौसम में 360 डिग्री क्षेत्र में काम करने वाली एक बेहतरीन हवाई रक्षा प्रणाली है, जो किसी भी संघर्ष क्षेत्र में दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन के खिलाफ संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा प्रदान करती है। इस मिसाइल प्रणाली का विकास डीआरडीओ और इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने मिलकर किया है।
भारतीय नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि इस परीक्षण के बाद भारतीय नौसेना ने स्वदेशी युद्धपोत क्षमताओं में एक और अहम उपलब्धि हासिल की है। “आईएनएस सूरत ने समुद्र में स्थित लक्ष्य पर सटीक हमला करके नौसेना की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत किया है। यह मिसाइल भारत के स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन और विकास में बढ़ती ताकत का प्रतीक है और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति हमारे देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है,” उन्होंने कहा।
एमआरएसएएम का वजन करीब 275 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 4.5 मीटर तथा व्यास 0.45 मीटर है। इस मिसाइल में 60 किलोग्राम तक हथियार लोड किया जा सकता है और यह दो स्टेज की मिसाइल है, जो कम धुआं छोड़ते हुए लॉन्च होती है। 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और निगरानी विमानों को मार गिराने में सक्षम इस मिसाइल की गति 2469.6 किलोमीटर प्रति घंटा है।
भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित इस मिसाइल प्रणाली से भारतीय नौसेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के प्रति प्रतिबद्धता भी जाहिर होती है।
इस बीच, भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए पूर्वी थिएटर में अपनी पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रेजिमेंट स्थापित की है। यह रेजिमेंट भारत को दुश्मन के हवाई खतरों से सुरक्षित रखेगी, जिसमें लड़ाकू जेट, यूएवी, सोनिक और सुपरसोनिक मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना में भी एमआरएसएएम प्रणाली को शामिल किया जा चुका है, जो आकाश के बाद वायुसेना में शामिल होने वाला दूसरा मिसाइल डिफेंस सिस्टम है।
यह मिसाइल परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करता है, और देश की समुद्री सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित होता है।
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