काठमांडू। नेपाल में दैलेख जिले के नीचे छुपे अरबों घन मीटर मिथेन गैस के भंडार की खोज ने देश को ऊर्जा संसाधनों के नक्शे पर ला दिया है। लेकिन इस बहुमूल्य संसाधन को नेपाल खुद विकसित नहीं कर पाएगा — और अब इसे चीन को सौंपे जाने की तैयारी है।
नेपाल के उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्री दामोदर भंडारी ने गुरुवार को घोषणा की कि गैस उत्पादन की पूरी परियोजना चीन को सौंपी जाएगी। उनके मुताबिक, “हमारे पास संसाधनों और तकनीक की कमी है, इसलिए हमने आज ही चीन सरकार को इस परियोजना के लिए औपचारिक प्रस्ताव भेजा है।”
दैलेख में प्राकृतिक गैस की खोज दो साल पहले शुरू हुई थी, जिसमें चार प्रमुख भंडारों का पता चला है। सिर्फ एक जगह पर 112 अरब घन मीटर मिथेन गैस की पुष्टि हो चुकी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कुल भंडार 430 अरब घन मीटर तक हो सकता है।
इस रणनीतिक सहयोग की नींव 2016 में रखी गई थी, जब नेपाल और चीन ने पेट्रोलियम संभावनाओं की तलाश के लिए समझौता किया था। 2019 में इस परियोजना के लिए तकनीकी और आर्थिक सहयोग के समझौते पर दस्तखत हुए, जिसके तहत चीन की सरकारी एजेंसी चाइना जियोलॉजिकल सर्वे ने पहले भौगोलिक सर्वे किया। इसके बाद खुदाई का जिम्मा चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (CNPC) को सौंपा गया।
मार्च 2024 में खुदाई का काम शुरू हुआ, जिसमें चीन से मशीनरी और विशेषज्ञों की टीम नेपाल पहुंची। एक साल की गहन मेहनत के बाद अब यह विशाल गैस भंडार सामने आया है।
नेपाल के इस निर्णय को लेकर जहां एक ओर आर्थिक संभावनाएं दिख रही हैं, वहीं दूसरी ओर देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता पर सवाल भी उठने लगे हैं।