काठमांडू। नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार छह अध्यादेशों को पारित कराने के लिए राष्ट्रीय सभा में बहुमत जुटाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार दल विभाजन से संबंधित विधेयक लाने की तैयारी में है।
सरकार की रणनीति और राजनीतिक समीकरण
- सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ घटक दलों ने सरकार के अध्यादेशों का विरोध किया था, जिससे बहुमत हासिल करने की चुनौती खड़ी हो गई।
- शनिवार को हुई गठबंधन दलों की बैठक में दल विभाजन विधेयक लाने पर सहमति बनी।
- गृहमंत्री रमेश लेखक ने बताया कि कुछ दलों के अड़ियल रुख के चलते सरकार को यह विधेयक लाने का फैसला लेना पड़ा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह विधेयक किस दल के विभाजन को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है।
राष्ट्रीय सभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या
- राष्ट्रीय सभा में कुल 49 सदस्य हैं, जिसमें सरकार के पास फिलहाल 22 सांसदों का समर्थन है।
- बहुमत के लिए 25 सांसदों की जरूरत है, यानी सरकार को तीन और सांसदों का समर्थन जुटाना होगा।
- इसलिए, एकीकृत समाजवादी पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी के संभावित विभाजन की चर्चा जोरों पर है, क्योंकि माना जा रहा है कि इनके कुछ सांसद सरकार के संपर्क में हैं।
दल विभाजन के लिए नया प्रस्तावित विधेयक
- वर्तमान कानून के तहत किसी पार्टी के विभाजन के लिए उस पार्टी के कुल सांसदों और केंद्रीय समिति के 40% सदस्यों का समर्थन जरूरी है।
- नए विधेयक में यह सीमा 40% से घटाकर 20% करने का प्रस्ताव रखा गया है।
- इसके अलावा, सांसदों और केंद्रीय समिति के सदस्यों की अनिवार्यता को हटाकर किसी एक गुट के समर्थन से भी विभाजन को कानूनी मंजूरी देने की बात शामिल की गई है।
राजनीतिक माहौल गर्माया
ओली सरकार के इस कदम से नेपाल की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्षी दल और कुछ सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक इसे सत्ता बचाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि सरकार राष्ट्रीय सभा में बहुमत जुटाने में सफल होती है या नहीं।
