नेपाल में राजनीतिक दलों के चंदा लेने पर रोक का प्रस्ताव

काठमांडू। नेपाल निर्वाचन आयोग ने चुनावी कानूनों में व्यापक बदलाव की सिफारिश करते हुए राजनीतिक दलों द्वारा किसी भी प्रकार का चंदा लेने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव के अनुसार, चुनावी खर्च का प्रबंधन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। प्रमुख निर्वाचन आयुक्त दिनेश थपलिया ने इस प्रस्ताव की पुष्टि की है। आयोग के अधिकारियों ने संसद की राज्य व्यवस्था संसदीय समिति के समक्ष चुनाव कानून संशोधन विधेयक पर अपनी राय रखी और इसे संसद में पेश करने की अपील की।

राजनीतिक दलों के लिए सरकारी फंडिंग का सुझाव

मुख्य निर्वाचन आयुक्त थपलिया ने कहा कि राजनीतिक दलों को किसी भी व्यक्ति, संस्था या व्यवसायी से आर्थिक सहायता लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। चुनाव खर्च के लिए सरकार द्वारा निर्धारित धन ही सभी दलों को दिया जाए ताकि चुनाव में धन के दुरुपयोग को रोका जा सके। इसके अलावा, उन्होंने निर्वाचन आयोग को चुनाव में वित्तीय अनियमितताओं पर सख्त नियंत्रण के लिए अधिक अधिकार देने का भी प्रस्ताव रखा।

दल विभाजन पर प्रतिबंध का प्रस्ताव

निर्वाचन आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी सांसद को दल विभाजन का अधिकार न दिया जाए। स्वतंत्र रूप से निर्वाचित सांसदों पर भी किसी राजनीतिक दल में शामिल होने पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, किसी पार्टी की केंद्रीय समिति के 40% सदस्य और संसद में मौजूद 40% सांसद यदि एक साथ आग्रह करें, तो नए दल को मान्यता देने का प्रावधान शामिल किया गया है। थपलिया का मानना है कि जनता के जनादेश का सम्मान करने के लिए दल विभाजन और दल बदल पर पूर्ण रोक आवश्यक है।

महिलाओं और अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढ़ाने की पहल

आयोग ने प्रत्यक्ष चुनाव में 33% महिला उम्मीदवारों की अनिवार्यता का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही, आदिवासी, जनजाति, अल्पसंख्यक और दलित समुदायों की सीधी चुनाव में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समावेशी सिद्धांत लागू करने का भी सुझाव दिया गया है।

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