रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों के साथ शांति वार्ता की संभावना पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि बातचीत तभी संभव होगी जब नक्सली पहले हथियार डालकर आत्मसमर्पण करें। उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों की केंद्रीय समिति द्वारा शांति वार्ता के प्रस्ताव में “युद्धविराम” शब्द के प्रयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में युद्ध जैसी कोई स्थिति नहीं है, तो फिर युद्धविराम की बात कहां से आई?
बिना शर्त वार्ता के लिए तैयार सरकार
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने बुधवार को एक पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकार किसी भी सार्थक वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए कोई पूर्व शर्त स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने दोहराया कि हिंसा और रक्तपात पर कोई समझौता नहीं होगा। अगर नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, तो उन्हें अपने प्रतिनिधियों और वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा।
पुनर्वास नीति और नक्सलियों के लिए सरकार का रुख
गृह मंत्री ने बताया कि सरकार के पास नक्सलियों के लिए एक प्रभावी पुनर्वास नीति है। आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा, पुनर्वास और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे समाज में वापस आकर एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि बीते एक से डेढ़ वर्ष में 40 ऐसे गांवों में पहली बार तिरंगा फहराया गया, जहां पहले नक्सलियों का प्रभाव था और उन्होंने अपने कानून थोपने की कोशिश की थी। अब राज्य के सभी गांवों में तिरंगा फहराना और भारतीय संविधान का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है।
संविधान के दायरे में ही होगी वार्ता
उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बातचीत का स्वरूप किसी कट्टरपंथी विचारधारा की तरह नहीं हो सकता। यदि नक्सली वार्ता को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें भारतीय संविधान को स्वीकार करना होगा। समानांतर व्यवस्था थोपने की कोशिश करने वालों से बातचीत का कोई औचित्य नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि यदि नक्सली वार्ता के इच्छुक हैं, तो उन्हें अपनी ओर से वार्ता के लिए समिति बनाकर स्पष्ट प्रस्ताव के साथ आगे आना होगा।
नक्सलियों का प्रस्ताव और सरकार की प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि नक्सलियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने तेलुगु भाषा में जारी एक पर्चे के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों से छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में चल रहे ऑपरेशन रोकने और नए अर्धसैनिक शिविरों की स्थापना बंद करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यदि सरकारें इन प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देती हैं, तो नक्सली तत्काल युद्धविराम की घोषणा कर देंगे।
हालांकि, सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि पहले आत्मसमर्पण करें, तभी वार्ता संभव होगी।