नई दिल्ली। बिहार में नकली दवाइयों के 15 साल पुराने मामले ने एक बार फिर सियासी ताप बढ़ा दिया है। इस केस में दोषी ठहराए गए राज्य सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा को लेकर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने मिश्रा से तुरंत मंत्री पद छोड़ने की मांग करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तीखा हमला करते हुए कहा, “जनता की सेवा में लगे व्यक्ति की जवाबदेही आम नागरिक से कहीं ज्यादा होती है। ऐसे में मिश्रा को खुद ही नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि नकली दवा मामले में अब तक सरकार ने कितनी कंपनियों पर कार्रवाई की, कितनी दवाइयां जब्त हुईं और कितनी जांचें पूरी की गईं – इस पर सरकार को पारदर्शिता दिखानी चाहिए।
जानकारी के मुताबिक, राजनीति में आने से पहले जीवेश मिश्रा दवा व्यवसाय से जुड़े थे और आल्टो हेल्थलेयर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रह चुके हैं। वर्ष 2010 में राजस्थान के कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदी गई सिप्रोलिन 500 दवा में मिलावट पाई गई थी। इस दवा की सप्लाई मिश्रा की कंपनी समेत दो अन्य कंपनियों ने की थी।
इस मामले में राजस्थान के राजसमंद कोर्ट ने 4 जून 2025 को मिश्रा समेत 9 लोगों को दोषी करार दिया था। हालांकि, 1 जुलाई को अदालत ने उन्हें ऑफेंडर प्रोबेशन एक्ट के तहत राहत देते हुए केवल जुर्माना लगाकर रिहा कर दिया।
अब कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सरकार पर हमलावर है और इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताते हुए मंत्री के पद पर बने रहने को अनुचित ठहरा रही है।