धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने एक ऐतिहासिक और दूरगामी बयान में साफ कर दिया है कि उनके जीवनकाल के बाद भी दलाई लामा की संस्था समाप्त नहीं होगी, बल्कि उसी परंपरा के अनुसार आगे बढ़ेगी। धर्मशाला के मैकलियोडगंज में एक तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि उनकी पुनर्जन्म की पहचान का अधिकार केवल गदेन फोडरंग ट्रस्ट को होगा, किसी और को नहीं।
6 जुलाई को 90 वर्ष के होने जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने यह भी स्पष्ट किया कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी केवल आध्यात्मिक संकेतों और पारंपरिक अनुष्ठानों के जरिए ही तय होगा, न कि किसी राजनीतिक दबाव या बाहरी हस्तक्षेप से।
उन्होंने बताया कि 1969 में ही उन्होंने यह विचार रखा था कि भविष्य में उनके पुनर्जन्म को लेकर कोई निर्णय तिब्बती जनता और संबंधित समुदायों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने 2011 में एक अहम बैठक में यह भी तय किया कि दलाई लामा की संस्था आगे भी चलेगी और उसका नेतृत्व परंपराओं के अनुसार ही तय होगा।
पिछले 14 वर्षों में उन्हें तिब्बती निर्वासित संसद, तिब्बती प्रशासन, मंगोलिया, रूस, चीन के बौद्ध समुदायों और हिमालयी क्षेत्रों से हजारों अनुरोध मिले कि दलाई लामा की परंपरा और संस्था को जारी रखा जाए। विशेष रूप से तिब्बत में रह रहे लोगों ने पुनर्जन्म की प्रक्रिया को बनाए रखने की भावुक अपील की। दलाई लामा ने इन भावनाओं को गंभीरता से लिया और अब औपचारिक रूप से इसकी घोषणा कर दी।
दलाई लामा ने यह भी दोहराया कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया एक ‘पवित्र परंपरा’ है, जिसे केवल तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख लामा, शपथबद्ध धर्म रक्षक और गदेन फोडरंग ट्रस्ट मिलकर पूर्ण करते हैं। इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप या बाहरी शक्ति की भूमिका नहीं होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा, “दलाई लामा नियुक्त नहीं किए जाते, उन्हें पहचाना जाता है।”
गौरतलब है कि गदेन फोडरंग ट्रस्ट दलाई लामा के आध्यात्मिक कार्यों, तिब्बती संस्कृति की रक्षा और ज़रूरतमंदों की सहायता के लिए बनाया गया एक ट्रस्ट है, जो धर्म, जाति या राष्ट्रीयता से परे लोगों की सेवा करता है।
दलाई लामा के इस बयान को तिब्बती समुदाय में भविष्य के नेतृत्व को लेकर आस्था और स्पष्टता का प्रतीक माना जा रहा है। यह संदेश उन सभी अटकलों पर विराम है, जो वर्षों से उनके उत्तराधिकारी को लेकर लगाई जा रही थीं।
